Tuesday, October 20, 2015

नवरात्रि - गायत्री देवी



ओम शांति
नवरात्रि के इस अष्टमी पर आप सबका स्वगत है आज हम शक्ती स्वरूपा माँ गायत्री देवी के शक्ती स्वरुप का अनुभव करेंगे गायत्री देवी को वैसे विशाद में डूबे हुए मनुष्य आत्मायों के दुःख दूर करने वाली कहते है सबके मन को हर्षाने वाली ख़ुशी का वरदान देने वाली और आनंद मगन करने वाली भी कहते है
हम सब आज आनंद मगन होकर ख़ुशी से इस रूहानी यात्रा पर चलेंगे ...... 
हम अपनी आत्मा के अदभुत रह्श्य को जानते हुवे आत्मा अनुभूति का आनंद उठाएंगे .... आत्मा एक तिकी रोकेट है आत्मा एक यात्री है तो चलिए मन बुद्धि के द्वरा अपनी यात्रा शुरू करे .....संसार से वियोग होकर परमधाम से अपना योग जोड़े ....
    अपने आपको साक्षी होकर देखे और इस शरीर को मन्दिर समझ आत्मा को एक दैवी शक्ति के रूप में देखे शरीर जड है और आत्मा चेतन है इसलिये चेतना को शक्ती कहा गया है शक्ती का ही पूजन गायन होता है इस आवाज़ की दुनिया से दूर सूर्य चाँद सितारों से पार ..... पांच तत्वो से पार
शुक्ष्म लोक में मै आत्मा आ गयी हूँ जहा चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश है जहा सिर्फ भावनाए कार्य करती है .....वो भी इस संगम समय पर यहाँ मै आत्मा अपने बापदादा से रूह रिहन करते हुवे अतीन्द्रिय सुख का अनुभव कर रही हूँ बाबा की प्यार भरी दृष्टी मुझ आत्मा पर पड़ रही है .....

में आत्मा परमधाम निवासी हूँ पर वाया  शुक्ष्म लोक से होकर शक्ती भर कर अपने परमधाम की ओर उड़ान भर रही हूँ .......
अब मै आत्मा अपने मुलवतन शांतिधाम  परमधाम मै पहुंच गई हु मै अपने पिता परमात्मा से मिलन मना रही हूँ यह मिलन मुझ आत्मा को
पावन और सर्व शक्तियों से भरपूर कर रही  है ......( कुछ पल इस अवस्था में खो जाईये .)
धीरे धीरे मै आत्मा शांति की शक्ती से भरपूर होकर शुक्ष्म लोक में आ गयी हूँ  और बापदादा से मीठी मीठी बाते हो रही है और बाबा आज फिर मुझे एक नया दृश्य दिखा रहे है और मै उस दृश्य को देखने लगी जहा मनुष्य आत्माए विशाद में डुबी है बहुत गम में है उनकी ख़ुशी गायब है ......
  ऐसा दृश्य देखकर मुझ आत्मा को कल्प पहले वाली श्रेठ शक्ति रूप माँ गयात्री की याद आ गई और भक्तो की पुकार सुनाई देने लगी .......
अब मै आत्मा बाबा से मिलकर उनसे शक्ति लेकर माँ गायत्री के शक्ति रूप को धारण कर विश्व सेवा करने लगी ..... 
परम धाम से गुलाबी रंग की किरने आ रही है और मुझ आत्मा से होते हुए संसार की अनेक आत्माओं को स्पर्श कर रही है (इस दृश्य में खो जाइये ) परम धाम से गुलाबी रंग की किरने आ रही है और मुझ आत्मा से होते हुए संसार की अनेक आत्माओं को स्पर्श कर रही है
धीरे धीरे .... विशाद में डुबी आत्माये दुःख से दूर हो रहे है गम में डुबी आत्माए ख़ुशी का अनुभव करने लगी है ......
और मै आत्मा शक्ती स्वरुप का अनुभव करते हुवे बाबा से विदाई लेते हुवे नीचे की ओर आने लगी ....

मुझ आत्मा को अपनी शक्तियों का एहसास हुवा में आत्मा अपने शक्ती से खुद को और संसार को बदल सकती हूँ .... आज में संकल्प करती हूँ आत्मा स्मृति से हर कार्य करुँगी अपने लोकिक और अलोकिक परिवार का बैलेंस करते हुवे जीवन व्यतीत करुँगी....
अपना तन मन धन सफल कर भविष २१ जन्म की कमाई जमा करुँगी ...
 ओम शांति शांति शांति .....



Friday, October 16, 2015

महाकाली शक्ती स्वरूप का अभ्यास



ओम शांति

नवरात्री के इस पावन दिवस पर आप सब का स्वागत है, आइये आज फिर से हम अपनी आत्मा की शक्ती को जाने पहचाने और आनुभव करे
आज हम महाकाली शक्ती स्वरूप का अभ्यास करे  महाकाली को असुर सस्कारो को मिटनेवाली कहते है ,जब धरती पर बहुत पाप और   बड़ते असुरी सस्कर अपनी  चरम सीमा पर होते तब परमात्मा शिव से शक्ती लेकर माँ काली ने पुरे संसार को असुरी संस्कारो से मुक्त कर दिया थी अब फिर से वही समय चल रहा है तो आइये इस रूहानी यात्रा पर ......

अपने को इस संसार से अलग चेतन आत्मा अनुभव करे ,परम शक्ती से मिलन मनाने की लिए परमधाम की और उड़ान भरे ,इस आवाज की दुनया से दूर ..सूरज चांद सितारों से ...सूक्ष्म वतन आप आत्मा आकरी रूप में पहुँच गये है ....और वतन में बाप दादा आपका स्वगत कर रहे है बापदादा को देख आप हर्षित हो रहे है आप ख़ुशी खुशी बाप दादा के साथ मिलकर सुस्म वतन का आवलोकन कर रहे है इस अलोकिक यात्रा बाद आप और उडान भर रहे है ...
अब मै आत्मा परमधाम शांतिधाम में पहुँच गयी हूँ .... मेरी आत्मा परम शांति का अनुभव कर रही है और यही मेरा सच्चा घर है ... यही से मै आत्मा पाठ बजाने संसार में आती हूँ ... अब मुझ आत्मा का महा मिलन हो रहा है अपने पिता परमात्मा से  मेरे पिता परमात्मा सर्व शक्तिमान है उन से सर्व शक्तिया मुझे मिल रही है  में आत्मा परम शक्ती से भरपूर हो रही हूँ....
( कुछ पल इसी अवस्था में खो जाईये ... )

अब आप आत्मा शिव शक्ती स्वरूपा बन गयी है और अपने संकल्प शक्ती के द्वारा आप शुक्ष्म लोक में आ रही है . जहा आप बापदादा से मुलाकात कर रहे है .. उन से मीटी मिटी रूह रिहान कर रहे है ..और इसी बीच बाबा आपको सन्सार की वर्तमान समय से अवगत करा रहे है ..जहा मनुष्य आत्माये असुरी संस्कारो के वशीभूत हो पाप कर्म कर रहे है.. जिस के वजह से सारी दुनिया पतित, दू खी और अशांति हो गयी है ... इस दृश को देखते ही मुझ आत्मा को कल्प पहले वाली श्रेष्ठ स्मृति शिव शक्ती स्वरूपा माँ काली की याद आ गयी...
(गीत---)
और मै आत्मा अपनी श्रेष्ठ स्वमान से शिव बाबा से मिलकर विश्व कल्याण के कार्य में सहयोगी बनी और मै आत्मा शिव शक्ती माँ काली बन गयी... ( म्यूजिक )
परमधाम से सफ़ेद चमकीली रंग की किरणे निकल रही है और मुझ आत्मा से होकर पुरे संसार में पहुँच रहे है .... धीरे धीरे परमधाम से शक्तियों की किरणे आ रही है और आप आत्मा से होते हुवे पुरे संसार में फ़ैल रहे है ... (इस दृश में खो जाईये )

अब संसार की सभी आत्माए असुरी संस्कारो से मुक्त हो गयी है चारो ओर शांति फ़ैल गयी है और एक नया सबेरा होने को है... जहा सभी आत्माए सुख शांति और समृद्दी का जीवन अनुभव करेंगे...

और मै आत्मा अपने श्रेष्ठ स्मृति से शिव शक्ती माँ काली की इस स्वमान को याद करते हुवे नीचे की ओर आ रही हूँ ... शक्ती स्वरुप का अनुभव मेरे मन बुद्धि को शुद्ध और पवित्र बना दिया है ..
और आज से मेरे मन बुद्धि और संस्कार आत्मा  स्मृति से ही कर्म करेंगे जिस से मै आत्मा श्रेष्ठ कर्म का भाग्य जमा करुँगी ... मेरे कर्म ही मेरे पहचन है ... सर्व के प्रति शुभ भाव शुभ कमाना करना ये आत्मा की संस्कार है येही सच्चा धर्म है..   ओम शांति शांति शांति...

  

मैं हंस वाहिनी , तपस्विनी ब्रह्माकुमारी सरस्वती माँ हूँ । …

मैं हंस वाहिनी , तपस्विनी ब्रह्माकुमारी सरस्वती माँ हूँ । …

हम सब ये जानते  है कि नवरात्री में देवियों की पूजा होती है। देवियों को शक्ति के रूप में याद किया जाता है। हर रोज एक देवी की विशेष शक्ति को याद किया जाता है और उनकी उसी रूप में गायन भी किया  जाता है। जैसे माँ सरस्वती  देवी को सब याद करते है और ये कामना करते है की माँ सरस्वती से ज्ञान की प्राप्ति हो।  इस से मानव अज्ञान से दूर होकर प्रकाश की ओर बढ़ने लगता है। तो चलिए इस रूहानी यात्रा पर
अपन को संसार की बातों से अलग कर स्वम् को आत्मा निश्चय कर। ………मन और बुद्धि के संकल्प द्वारा परमधाम की ओर उड़ान भरें। …पुरे  आत्मा विश्वास के साथ। . 

मैं आत्मा इस आवाज़ की दुनियाँ से दूर सूरज, चाँद , सितारों से पार … जहाँ बहुत शान्ति है चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश है। इस प्रकाशमय लोक  में  पहुंच गयी हुँ.... ऐसी शुक्ष्म अलोक में प्यारे बापदादा मेरा स्वागत कर रहे है। मैं आत्मा बापदादा की गोद में पहुँच कर अतीन्द्रया सुख महसूस कर रही हूँ … बापदादा का स्नेह मुझ आत्मा को तृप्त कर रहा  है।  ................... 

बापदादा के साथ मैं आत्मा एक ओर उड़ान भरते हुवे परमधाम में पहुंच गयी हूँ जहाँ न आवाज़ है न संकल्प बस  डेड साइलेंस है। ……………… मेरी आत्मा परमधाम में परमात्मा के मिलन में डूब गयी है। 

बिन्दु रूप अवस्था में खो गयी है। बीज रूप में ठीक गयी है। ...................... 

परम शान्ति में खो गयी है। ............. शान्ति , शान्ति और शान्ति।  यही  वो महा मिलन है जिस से मेरी आत्मा शक्ति रूप धारण करती है। इसी विधी से मेरी आत्मा पवित्र बन जाती है और अपने सत्य स्वरुप को पा लेती है ( कुछ देर इसी अवस्था में रहे )

अब मुझ आत्मा को सच्ची शान्ति का एहसास हो चूका है। शान्ति में ही सब कुछ है। शान्ति ही शक्ति का आधार है। और मै आत्मा शक्ति स्वरूपा बन गयी हूँ मुझ आत्मा में सम्पूर्ण शक्ति आ गयी है और में आत्मा परमात्मा से मिलकर अब किसी भी देवी अलंकार को धारण कर विश्व सेवा कर सकती हूँ।

मैं आत्मा अब धीरे धीरे परमधाम से निकल कर शांति की शक्ति से सम्प्पन में शुक्ष्म लोक में आ गयी हूँ यहाँ में और बापदादा दोनों कम्बाइन है में आत्मा शिव शक्ति बन गयी हूँ।  मुझे याद आ रहा है कल्प पहले भी में ऐसे ही शिवशक्ति बन विश्व कल्याण के कार्य में सहयोगी बनी थी।
बाबा मेरे सामने एक दृश्य इमर्ज कर रहे है और में आत्मा उस दृश्य को देखती जा रही हूँ।  शुक्ष्म लोक में एक बहुत बड़ा ग्लोब है और उसमें रहने वाली सभी आत्माएं अज्ञान अंधकार में भटक रही है। आत्मा होकर उन्हें एक्टर क्रिएटर और डायरेक्टर का पता नहीं है।  क्या कर रहे है और क्या करना चाहिए ये पता नहीं है। न घर का पता है न मात पिता का ?…
अंधकार ही नहीं घोर अंधकार में आत्माएं फांसी हुई है।
इस दृश्य को देख मेरा मन घबरा सा गया लेकिन बाबा ने मुझे शक्ति देते हुवे कहा  - बच्ची क्या सोच रही है ? मै हूँ ना तुम भी ऐसे ही थी। लेकिन आज तुम ब्रह्माकुमारी हो।  मेरी बेटी हो। . … बाबा  का ये शब्द मेरी आत्मा को कल्प पहले वाली स्मृति को जाग दिया और मुझ आत्मा को सब कुछ याद आ गया।
और मैं बाबा के साथ कम्बाइन हो गयी और अपने श्रेस्ठ स्वमन में आ गयी मै हंस वाहिनी , तपस्विनी , श्वेत वस्त्र धरणी ब्रह्माकुमारी सरस्वती माँ बन गयी। …
परमधाम से हारे रंग की किरणों  का फाउंटेन निकल रहा है और शुक्ष्म लोक  मैं मुझ आत्मा पर पड़ रही है और ये किरणे  अनेक किरणे के रूप में बढ़ते हुवे मुझ आत्मा से निकल कर सृष्टि के सभी आत्माओ को मिल रही है धीरे धीरे अब ये हारे  रंग की किरणे पुरे सृष्टि को कवर कर रही है। अब एक बहुत ही सुन्दर दृश्य दिखाई दे रहा है।   और परमधाम से हारे रंग का फाउंटेन  मुझ से होकर सारे सृष्टि को भरपूर कर रही है।  सभी आत्माओ का मन ज्ञान गुण व शक्तिओ से भरपूर हो रहा है. कुछ देर इसी दृश्य को देखते रहिये।
 पूरी तरह इस दृश्य को आत्मासात कर डूब जाईये। ....
 

अब धीरे धीरे बापदादा से मिलान मानते हुवे दृष्टी लेते हुवे मैं शिव स्वरूपा हंस वाहिनी , तपस्विनी , श्वेत वस्त्र धरणी ब्रह्माकुमारी माँ सरस्वती हूँ की इसी स्वमान को याद करते हुवे आप नीचे की ओर आ रहे है। और अपने शरीर में प्रवेश कर रहे हो।

मैं हर कार्य शान्ति में रहकर करुँगी ………अपने स्वधर्म को याद करते हुवे कर्म करुँगी। …आज पुरे दिन में बीच बीच में मैं श्वेत वस्त्र धरणी ब्रह्माकुमारी माँ सरस्वती हूँ इस स्वमान का भी अभ्यास करती  रहूंगी …

    …ओम शान्ति शान्ति  शान्ति

Wednesday, October 14, 2015

मैं सर्व की आराध्य देवी माँ लक्ष्मी हूँ। - नवरात्री

मैं सर्व की आराध्य देवी माँ लक्ष्मी हूँ। …

हम सब ये जानते  है कि नवरात्री में देवियों की पूजा होती है। देवियों को शक्ति के रूप में याद किया जाता है। हर रोज एक देवी की विशेष शक्ति को याद किया जाता है और उनकी उसी रूप में गायन भी किया  जाता है। जैसे माँ लक्ष्मी को चाहे न चाहे लेकिन माँ लक्ष्मी तो सब की आराध्य देवी है  इन से सभी धन और सम्पत्ति की माँग करते रहते है। तो आईये आज हम सब अपनी आत्मिक स्वरूप में बैठकर परमात्मा शिव से मिलकर माँ लक्ष्मी का आवाहन करेंगे और पूरी सृष्टि को अकूट ज्ञान धन गुण रूपी हीरे मोतियो से सुसज्जित कर सुख समृद्धि का अखूट भण्डारा से सब को भरपूर करे।  । तो चलिए इस रूहानी यात्रा पर....
अपन को संसार की बातों से अलग कर स्वम् को आत्मा निश्चय कर। ………मन और बुद्धि के संकल्प द्वारा परमधाम की ओर उड़ान भरें। …पर आत्मा विश्वास के साथ। . 

मैं आत्मा इस आवाज़ की दुनियाँ से दूर सूरज, चाँद , सितारों से पार … जहाँ बहुत शान्ति है चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश है। इस प्रकाशमय लोक  में  पहुंच गयी हुँ.... ऐसी शुक्ष्म अलोक में प्यारे बापदादा मेरा स्वागत कर रहे है। मैं आत्मा बापदादा की गोद में पहुँच कर अतीन्द्रया सुख महसूस कर रही हूँ … बापदादा का स्नेह मुझ आत्मा को तृप्त कर रहा  है।  ................... 

बापदादा के साथ मैं आत्मा एक ओर उड़ान भरते हुवे परमधाम में पहुंच गयी हूँ जहाँ न आवाज़ है न संकल्प बस  डेड साइलेंस है। ……………… मेरी आत्मा परमधाम में परमात्मा के मिलन में डूब गयी है। 

बिन्दु रूप अवस्था में खो गयी है। बीज रूप में ठीक गयी है। ...................... 

परम शान्ति में खो गयी है। ............. शान्ति , शान्ति और शान्ति।  यही  वो महा मिलन है जिस से मेरी आत्मा शक्ति रूप धारण करती है।     ( कुछ देर इसी अवस्था में रहे )

अब मुझ आत्मा को सच्ची शान्ति का एहसास हो चूका है। शान्ति में ही सब कुछ है। शान्ति ही शक्ति का आधार है। और मै आत्मा शक्ति स्वरूपा बन गयी हूँ मुझ आत्मा में सम्पूर्ण शक्ति आ गयी है और में आत्मा परमात्मा से मिलकर अब किसी भी देवी अलंकार को धारण कर विश्व सेवा कर सकती हूँ।

मैं आत्मा अब धीरे धीरे परमधाम से निकल कर शांति की शक्ति से सम्प्पन में शुक्ष्म लोक में आ गयी हूँ यहाँ में और बापदादा दोनों कम्बाइन है में आत्मा शिव शक्ति बन गयी हूँ।  मुझे याद आ रहा है कल्प पहले भी में ऐसे ही शिवशक्ति बन विश्व कल्याण के कार्य में सहयोगी बनी थी।
बाबा मेरे सामने एक दृश्य इमर्ज कर रहे है और में आत्मा उस में सहयोगी बनती जा रही हूँ।  शुक्ष्म लोक में एक बहुत बड़ा ग्लोब है और उसमें रहने वाली सभी आत्माएं अपना स्वराज्य खो चुकी है । दुखी अशांति और कंगाल है। ये सब देखकर में आत्मा बाबा के ईशारे को समझ गयी और बाबा के साथ मिलकर अपने पवित्र स्वरुप में टिक गयी।  और में शिवशक्ति माँ लक्ष्मी देवी बन गयी।  मैं शिव स्वरूपा माँ लक्ष्मी  बन गयी और बापदादा से मिलकर सम्पूर्ण ग्लोब को पीले रंग की किरनो की वर्षा  सृष्टि पर कर रही हूँ । ……
परमधाम से पीले रंग किरणे आ रही है  सूक्ष्म लोक में आ रही है और मुझ आत्मा को स्रपर्श कर रही है और ये किरणे  अनेक किरणे के रूप में बढ़ते हुवे मुझ आत्मा से निकल कर सृष्टि के सभी आत्माओ को मिल रही है धीरे धीरे अब ये पीले रंग की किरणे पुरे सृष्टि को कवर कर रही है।
इस अवशता में  को जाइए इस दृश्य को देखते रहिये बापदादा और आप कम्बाइन है माँ लक्ष्मी देवी शिवशक्ति बन विश्व की सबी  आत्माओं को ज्ञान धन गुण रूपी हीरे मोतियो से भरपूर कर रही है
… ……… में
मैं सर्व की आराध्य देवी माँ लक्ष्मी हूँ। ..........

अब धीरे धीरे बापदादा से मिलान मानते हुवे दृष्टी लेते हुवे मैं शिव स्वरूपा माँ लक्ष्मी  की इसी स्वमान को याद करते हुवे आप नीचे की ओर आ रहे है। और अपने शरीर में प्रवेश कर रहे हो।

मैं हर कार्य शान्ति में रहकर करुँगी ………अपने स्वधर्म को याद करते हुवे कर्म करुँगी। …आज पुरे दिन में बीच बीच में मैं शिव स्वरूपा माँ लक्ष्मी देवी हूँ इस स्वमान का भी अभ्यास करते रहना है। …

                                          …ओम शान्ति शान्ति  शान्ति

Tuesday, October 13, 2015

Meditation Thoughts For Navratri.....Festival


मैं शिव स्वरूपा माँ दुर्गा पूजनीय आत्मा हूँ। 

हम सब ये जानते  है कि नवरात्री में देवियों की पूजा होती है। देवियों को शक्ति के रूप में याद किया जाता है।   उनके जीवन की गाथा में ये बताया जाता है की जब पूरी सृष्टि पर असुरों का  राज्य था . तब माँ दुर्गा ने परमात्मा शिव से शक्ति प्राप्त कर असुरों का नश किया था।  उसी का यादगार नवरात्री का ये उत्सव मनाया जाता है। और आज भी पूरी सृष्टि पर असुरों का राज्य है उनका नश करने के लिये एक दैवी दुनिया पुनः स्थापना करने के लिए परमात्मा शिव इस धरा पर अवतरित होकर हमें शक्ति दे रहे है। और संपूर्ण संसार अभी देवियों का आवाहन कर रहा है।  तो ये वाही समय है हम सब को अपने आत्मिक स्वरुप में बैठकर परमात्मा से शक्ति लेकर असुरों नश करना है। तो चलिये। … इस रूहानी यात्रा पर।

 

अपन को संसार की बातों से अलग कर स्वम् को आत्मा निश्चय कर। ………मन और बुद्धि के संकल्प द्वारा परमधाम की ओर उड़ान भरें। …

मैं आत्मा इस आवाज़ की दुनियाँ से दूर सूरज, चाँद , सितारों से पार पहुँच गयी हूँ। … जहाँ बहुत शान्ति है चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश है। इस प्रकाशमय अलोक में प्यारे बापदादा मेरा स्वागत कर रहे है। मैं आत्मा बापदादा की गोद में पहुँच गयी हूँ। बापदादा का स्नेह मुझ आत्मा को तृप्त कर दिया है। मैं आत्मा अतीन्द्रिय सुख में खो गयी हूँ। ................... 

बापदादा के साथ मैं आत्मा एक ओर उड़ान भरते हुवे परमधाम में पहुंच गयी हूँ जहाँ न आवाज़ है न संकल्प बस  डेड साइलेंस है। ……………… मेरी आत्मा परमधाम में परमात्मा के मिलन में डूब गयी है। 

बिन्दु रूप अवस्था में खो गयी है। बीज रूप में ठीक गयी है। ...................... 

परम शान्ति में खो गयी है। ............. शान्ति , शान्ति और शान्ति।      ( कुछ देर इसी अवस्था में रहे )

अब मुझ आत्मा को सच्ची शान्ति का एहसास हो चूका है। शान्ति में ही सब कुछ है। शान्ति ही शक्ति का आधार है।  शान्ति नहीं तो कुछ भी नहीं , शान्ति से ही हर कार्य की सुरवात होती है। शान्ति ही शुभ है शान्ति ही विधि है शान्ति से सिद्धि मिलती है। इस लिए कहा है, ओम में सब कुछ है। याने ओम माना आत्मा और आत्मा का स्वधर्म है शान्ति इसलिए स्वधर्म में सुख है। 

मैं आत्मा अब धीरे धीरे परमधाम से निकल कर शांति की शक्ति से सम्प्पन में शुक्ष्म लोक में आ गयी हूँ यहाँ में और बापदादा दोनों कम्बाइन है में आत्मा शिव शक्ति बन गयी हूँ।  मुझे याद आ रहा है कल्प पहले भी में ऐसे ही शिवशक्ति बन विश्व कल्याण के कार्य में सहयोगी बनी थी।
बाबा मेरे सामने एक दृश्य इमर्ज कर रहे है और में आत्मा उस में सहयोगी बनती जा रही हूँ।  शुक्ष्म लोक में एक बहुत बड़ा ग्लोब है और उसमें रहने वाली सभी आत्माएं विकारों के जेल में पड़े हुवे है। दुखी अशांति और दर्द से पीड़ित है। ये सब देखकर में आत्मा बाबा के ईशारे को समझ गयी और बाबा के साथ मिलकर अपने पवित्र स्वरुप में टिक गयी।  और में शिवशक्ति बन गयी।  मैं शिव स्वरूपा माँ दुर्गा बन गयी और बापदादा से मिलकर सम्पूर्ण ग्लोब को लाल और नीले रंग की किरनो की वर्षा उन आत्माओ को और सृष्टि को देने लगी। ……
इस अवशता में कुछ पल को जाइए इस दृश्य को देखते रहिये बापदादा और आप कम्बाइन है शिवशक्ति बन विश्व की सबी दुखी आत्माओं को विकारो की जेल से मुक्त कर रहे है। उन्हें मुक्ति और जीवन मुक्ति का वर्षा दे रहे हो....
अब धीरे धीरे बापदादा से मिलान मानते हुवे दृष्टी लेते हुवे मैं शिव स्वरूपा माँ दुर्गा की इसी स्वमान को याद करते हुवे आप नीचे की ओर आ रहे है। और अपने शरीर में प्रवेश कर रहे हो।

मैं हर कार्य शान्ति में रहकर करुँगी ………अपने स्वधर्म को याद करते हुवे कर्म करुँगी। …आज पुरे दिन में बीच बीच में मैं शिव स्वरूपा माँ दुर्गा हूँ इस स्वमान का भी अभ्यास करते रहूंगी। …

                                                                …ओम शान्ति शान्ति  शान्ति