Friday, March 27, 2015

Hindi Motivational stories....हम आपका जीवन बचा सकते हैं


…हम आपका जीवन बचा सकते हैं

घने जंगल से गुजरती हुई सड़क के किनारे एक ज्ञानी गुरु अपने चेले के साथ एक साइन बोर्ड लगाकर बैठे हुए थे, जिस पर लिखा था- 'ठहरिए… आपका अंत निकट है! इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, रुकिए! …हम आपका जीवन बचा सकते हैं!'

एक कार फर्राटा भरते हुए वहां से गुजरी- चेले ने ड्राइवर को बोर्ड पढ़ने के लिए इशारा किया…
ड्राइवर ने बोर्ड की ओर देखकर भद्दी-सी गाली दी और चेले से यह कहता हुआ निकल गया- 'तुम लोग बियाबान के जंगल में भी धंधा कर रहे हो, शर्म आनी चाहिए!'

चेले ने असहाय नजरों से गुरुजी की ओर देखा। गुरुजी बोले - 'जैसे प्रभु की इच्छा!'

कुछ ही पल बाद कार के ब्रेकों के चीखने की आवाज आई और एक जोरदार धमाका हुआ।

कुछ देर बाद एक मिनी-ट्रक निकला। उसका ड्राइवर भी चेले को दुत्कारते हुए बिना रुके आगे चला गया।

कुछ ही पल बाद फिर ब्रेकों के चीखने की आवाज और फिर धड़ाम….!

गुरुजी फिर बोले- 'जैसी प्रभु की इच्छा!'
अब चेले से नहीं रहा गया। बोला- 'गुरुजी, प्रभु की इच्छा तो ठीक है, पर कैसा रहे यदि हम 
इस बोर्ड पर सीधे-सीधे लिख दें कि-

....
.....

'आगे पुलिया टूटी हुई है'… !!!' 

Hindi Motivational Stories........ " जल की मिठास "


गर्मियों के दिनों में एक शिष्य अपने गुरु से सप्ताह भर की छुट्टी लेकर अपने गांव जा रहा था। तब गांव पैदल ही जाना पड़ता था। जाते समय रास्ते में उसे एक कुआं दिखाई दिया।

शिष्य प्यासा था, इसलिए उसने कुएं से पानी निकाला और अपना गला तर किया। शिष्य को अद्भुत तृप्ति मिली, क्योंकि कुएं का जल बेहद मीठा और ठंडा था।

शिष्य ने सोचा - क्यों ना यहां का जल गुरुजी के लिए भी ले चलूं। उसने अपनी मशक भरी और वापस आश्रम की ओर चल पड़ा। वह आश्रम पहुंचा और गुरुजी को सारी बात बताई।
गुरुजी ने शिष्य से मशक लेकर
जल पिया और संतुष्टि महसूस की।

उन्होंने शिष्य से कहा- वाकई जल तो गंगाजल के समान है। शिष्य को खुशी हुई। गुरुजी से इस तरह की प्रशंसा सुनकर शिष्य आज्ञा लेकर अपने गांव चला गया।

कुछ ही देर में आश्रम में रहने वाला एक दूसरा शिष्य गुरुजी के पास पहुंचा और उसने भी वह जल पीने की इच्छा जताई। गुरुजी ने मशक शिष्य को दी। शिष्य ने जैसे ही घूंट भरा, उसने पानी बाहर कुल्ला कर दिया।

शिष्य बोला- गुरुजी इस पानी में तो कड़वापन है और न ही यह जल शीतल है। आपने बेकार ही उस शिष्य की इतनी प्रशंसा की।

गुरुजी बोले- बेटा, मिठास और शीतलता इस जल में नहीं है तो क्या हुआ। इसे लाने वाले के मन में तो है। जब उस शिष्य ने जल पिया होगा तो उसके मन में मेरे लिए प्रेम उमड़ा। यही बात महत्वपूर्ण है। मुझे भी इस मशक का जल तुम्हारी तरह ठीक नहीं लगा।

पर मैं यह कहकर उसका मन दुखी करना नहीं चाहता था। हो सकता है जब जल मशक में भरा गया, तब वह शीतल हो और मशक के साफ न होने पर यहां तक आते-आते यह जल वैसा नहीं रहा, पर इससे लाने वाले के मन का प्रेम तो कम नहीं होता है ना।

कहानी की सीख - दूसरों के मन को दुखी करने वाली बातों को टाला जा सकता है और हर बुराई में अच्छाई खोजी जा सकती है।

Tuesday, March 24, 2015

कुछ रोचक जानकारी क्या आपको पता है.........

1.  चीनी को जब चोट पर लगाया जाता है, दर्द तुरंत कम हो जाता है…
2.  जरूरत से ज्यादा टेंशन आपके दिमाग को कुछ समय के लिए बंद कर सकती है…
3. 92% लोग सिर्फ हस देते हैं जब उन्हे सामने वाले की बात समझ नही आती…
4. बतक अपने आधे दिमाग को सुला सकती हैंजबकि उनका आधा दिमाग जगा रहता….
5. कोई भी अपने आप को सांस रोककर नही मार सकता…
6. स्टडी के अनुसार : होशियार लोग ज्यादा तर अपने आप से बातें करते हैं…
7. सुबह एक कप चाय की बजाए एक गिलास ठंडा पानी आपकी नींद जल्दी खोल देता है…
8. जुराब पहन कर सोने वाले लोग रात को बहुत कम बार जागते हैं या बिल्कुल नही जागते…
9. फेसबुक बनाने वाले मार्क जुकरबर्ग के पास कोई कालेज डिगरी नही है…
10. आपका दिमाग एक भी चेहरा अपने आप नही बना सकता आप जो भी चेहरे सपनों में देखते हैं वो जिदंगी में कभी ना कभी आपके द्वारा देखे जा चुके होते हैं…
11. अगर कोई आप की तरफ घूर रहा हो तो आप को खुद एहसास हो जाता है चाहे आप नींद में ही क्यों ना हो…
12. दुनिया में सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला पासवर्ड 123456 है…..
13. 85% लोग सोने से पहले वो सब सोचते हैं जो वो अपनी जिंदगी में करना चाहते हैं…
14. खुश रहने वालों की बजाए परेशान रहने वाले लोग ज्यादा पैसे खर्च करते हैं…
15. माँ अपने बच्चे के भार का तकरीबन सही अदांजा लगा सकती है जबकि बाप उसकी लम्बाई का…
16. पढना और सपने लेना हमारे दिमाग के अलग-अलग भागों की क्रिया है इसी लिए हम सपने में पढ नही पाते…
17. अगर एक चींटी का आकार एक आदमी के बराबर हो तो वो कार से दुगुनी तेजी से दौडेगी…
18. आप सोचना बंद नही कर सकते…..
19. चींटीयाँ कभी नही सोती…
20. हाथी ही एक एसा जानवर है जो कूद नही सकता…
21. जीभ हमारे शरीर की सबसे मजबूत मासपेशी है…
22. नील आर्मस्ट्रांग ने चन्द्रमा पर अपना बायां पाँव पहलेरखा था उस समय उसका दिल 1 मिनट में 156 बार धडक रहा था…
23. पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण बल के कारण पर्वतों का 15,000मीटर से ऊँचा होना संभव नही है…
23. शहद हजारों सालों तक खराब नही होता..
24. समुंद्री केकडे का दिल उसके सिर में होता है…
25. कुछ कीडे भोजन ना मिलने पर खुद को ही खा जाते है….
26. छींकते वक्त दिल की धडकन 1 मिली सेकेंड के लिए रूक जाती है…
27. लगातार 11 दिन से अधिक जागना असंभव है…
28. हमारे शरीर में इतना लोहा होता है कि उससे 1 इंच लंबी कील बनाई जा सकती है…..
29. बिल गेट्स 1 सेकेंड में करीब 12,000 रूपए कमाते हैं…
30. आप को कभी भी ये याद नही रहेगा कि आपका सपना कहां से शुरू हुआ था…
31. हर सेकेंड 100 बार आसमानी बिजली धरती पर गिरती है…
32. कंगारू उल्टा नही चल सकते…
33. इंटरनेट पर 80% ट्रैफिक सर्च इंजन से आती है…
34. एक गिलहरी की उमर,, 9 साल होती है…
35. हमारे हर रोज 200 बाल झडते हैं…
36. हमारा बांया पांव हमारे दांये पांव से बडा होता हैं…
37. गिलहरी का एक दांत  हमेशा बढता रहता है….
38. दुनिया के 100 सबसे अमीर आदमी एक साल में इतना कमा लेते हैं जिससे दुनिया
की गरीबी 4 बार खत्म की जा सकती है…
39. एक शुतुरमुर्ग की आँखे उसके दिमाग से बडी होती है…
40. चमगादड गुफा से निकलकर हमेशा बांई तरफ मुडती है…
41. ऊँट के दूध की दही नही बन सकता…
42. एक काॅकरोच सिर कटने के बाद भी कई दिन तक जिवित रह सकता है…
43. कोका कोला का असली रंग हरा था…
44. लाइटर का अविष्कार माचिस से पहले हुआ था…
45. रूपए कागज से नहीं बल्कि कपास से बनते है…
46. स्त्रियों की कमीज के बटन बाईं तरफ जबकि पुरूषों की कमीजके बटन दाईं तरफ होते हैं…
47. मनुष्य के दिमाग में 80% पानी होता है.
48. मनुष्य का खून 21 दिन तक स्टोर किया जा सकता है…
49. फिंगर प्रिंट की तरह मनुष्य की जीभ के निशान भी अलग-अलग होते हैं…
50.केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है...
                  
                                      कुछ रोचक जानकारी . (collection)

Wednesday, March 18, 2015

मुक्ति....A spiritual story

एक बार गौतम बुद्ध से एक व्यक्ति ने पूछा कि भगवान् आप दिन-रात हजारों लोगों को उपदेश देते रहते हैं पर जिज्ञासा वश पूछना चाहता हूँ कि आप के प्रवचनों से कितने लोग मुक्ति को उपलब्ध हुए हैं तो बुद्ध ने कहा कि तुम्हारे इस प्रश्न का जवाब अवश्य दूंगा पर तुम्हें मेरा एक काम करना होगा। एक डायरी और पेन लेकर गाँव में जाओ और प्रत्येक व्यक्ति से उसकी एक इच्छा पूछो और उसे लिखकर ले आओ। वह व्यक्ति गाँव में गया और एक-एक व्यक्ति से उसकी इच्छा पूछकर उसे लिखने लगा। किसी ने पुत्र-प्राप्ति की इच्छा तो किसी ने उत्तम स्वास्थ्य की, किसी ने धन-संपत्ति की तो किसी ने ऊँचे पदों की इच्छाएं जताई। शाम तक वो युवक सभी की इच्छाएं पूछकर बुद्ध के पास आया और बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा। बुद्ध ने कहा कि देखा तुमने! तुमनें इतनें लोगों से उनकी एक-एक इच्छा पूछी हैं पर किसी नें भी मोक्ष की, ध्यान की या परमात्मा की इच्छा नहीं जताई। स्वयं भगवान् भी आकर यदि लोगों से कुछ मांगने को कहें तो भी लोग परमात्मा से परमात्मा नहीं , बल्कि संसार ही मांगेंगे। लोग चेतना के जिन निम्न तलों पर आज हैं उससे ऊपर उठने की प्यास तो उन्हें स्वयं ही अपने भीतर लानी होगी। लोग जंजीरों को आभूषण समझे बेठे हैं और आभूषणों को अज्ञानवश जंजीर बना बेठे हैं। लोगों को होश लाना ही होगा समझ विकसित करनी ही होगी। जैसे जैसे होश और बोध सधता जाएगा इस पार्थिव देह में चेतना का ज्वार उर्ध्व गमन को उपलब्ध होता जाएगा। परमात्मा तो वही देता हैं जो तुम्हारी चाहत हैं ये तुम पर निर्भर है कि तुम उससे क्या मांगते हो। पहले उन लोगों को देखो कि जिन्होनें संसार माँगा है क्या उन्हें संसार मिल गया है चाहे वो सिकंदर हो कि हिटलर या मुसोलिनी हो। फिर बुद्ध , महावीर और तीर्थंकरो , पैगम्बरों और अवतारों को देखो और प्यास को पीओ तुम्हारे हर प्रश्न का जवाब मिल जाएगा।

सीख - एक बार हमें भी अपने आप से पुछना है की हमारी इच्छा क्या है ?
मुक्ति 

Thursday, March 5, 2015

विश्वास .... A Motivational Story

किसी जंगल मे एक
गर्भवती हिरणी थी जिसका प्रसव होने
को ही था . उसने एक तेज धार वाली नदी के किनारे
घनी झाड़ियों और घास के पास एक जगह
देखी जो उसे प्रसव हेतु सुरक्षित स्थान लगा.
अचानक उसे प्रसव पीड़ा शुरू होने लगी, लगभग
उसी समय आसमान मे काले काले बादल छा गए और
घनघोर बिजली कड़कने लगी जिससे जंगल मे आग भड़क
उठी .
वो घबरा गयी उसने अपनी दायीं और देखा लेकिन ये
क्या वहां एक बहेलिया उसकी और तीर
का निशाना लगाये हुए था, उसकी बाईं और भी एक
शेर उस पर घात लगाये हुए उसकी और बढ़ रहा था अब
वो हिरणी क्या करे ?,
वो तो प्रसव पीड़ा से गुजर रही है ,
अब क्या होगा?,
क्या वो सुरक्षित रह सकेगी?,
क्या वो अपने बच्चे को जन्म दे सकेगी ?,
क्या वो नवजात सुरक्षित रहेगा?,
या सब कुछ जंगल की आग मे जल जायेगा?,
अगर इनसे बच भी गयी तो क्या वो बहेलिये के तीर से
बच पायेगी ?
या क्या वो उस खूंखार शेर के पंजों की मार से
दर्दनाक मौत मारी जाएगी?
जो उसकी और बढ़ रहा है,
उसके एक और जंगल की आग, दूसरी और तेज धार
वाली बहती नदी, और सामने उत्पन्न सभी संकट, अब
वो क्या करे?
लेकिन फिर उसने अपना ध्यान अपने नव आगंतुक
को जन्म देने की और केन्द्रित कर दिया .
फिर जो हुआ वो आश्चर्य जनक था .
कडकडाती बिजली की चमक से
शिकारी की आँखों के सामने अँधेरा छा गया, और
उसके हाथो से तीर चल गया और सीधे भूखे शेर
को जा लगा . बादलो से तेज वर्षा होने लगी और
जंगल की आग धीरे धीरे बुझ गयी.
इसी बीच हिरणी ने एक स्वस्थ शावक को जन्म
दिया .
ऐसा हमारी जिन्दगी मे भी होता है, जब हम
चारो और से समस्याओं से घिर जाते है, नकारात्मक
विचार हमारे दिमाग को जकड लेते है, कोई
संभावना दिखाई नहीं देती , हमें कोई एक उपाय
करना होता है.,
उस समय कुछ विचार बहुत ही नकारात्मक होते है,
जो हमें चिंता ग्रस्त कर कुछ सोचने समझने लायक
नहीं छोड़ते .
ऐसे मे हमें उस हिरणी से ये शिक्षा मिलती है की हमें
अपनी प्राथमिकता की और देखना चाहिए, जिस
प्रकार हिरणी ने सभी नकारात्मक
परिस्तिथियाँ उत्पन्न होने पर
भी अपनी प्राथमिकता "प्रसव "पर ध्यान केन्द्रित
किया, जो उसकी पहली प्राथमिकता थी.
बाकी तो मौत या जिन्दगी कुछ भी उसके हाथ मे
था ही नहीं, और उसकी कोई
भी क्रिया या प्रतिक्रिया उसकी और गर्भस्थ बच्चे
की जान ले सकती थी
उसी प्रकार हमें भी अपनी प्राथमिकता की और
ही ध्यान देना चाहिए .
हम अपने आप से सवाल करें,
हमारा उद्देश्य क्या है, हमारा फोकस क्या है ?,
हमारा विश्वास, हमारी आशा कहाँ है,
ऐसे ही मझधार मे फंसने पर हमें अपने इश्वर को याद
करना चाहिए ,
उस पर विश्वास करना चाहिए जो की हमारे ह्रदय मे
ही बसा हुआ है .
जो हमारा सच्चा रखवाला और साथी है.

 

Monday, March 2, 2015

किसान और परमात्मा

एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया ! कभी बाढ़ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये! हर बार 
कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाये! एक दिन बड़ा तंग कर उसने परमात्मा से कहा ,देखिये प्रभु,आप परमात्मा हैं , लेकिन लगता है 
आपको खेती बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है ,एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये , जैसा मै चाहू वैसा मौसम हो,फिर आप देखना मै कैसे अन्न के 
भण्डार भर दूंगा! परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम दूंगा, मै दखल नहीं करूँगा!
किसान ने गेहूं की फ़सल बोई ,जब धूप चाही ,तब धूप मिली, जब पानी तब पानी ! तेज धूप, ओले,बाढ़ ,आंधी तो उसने आने ही नहीं दी, समय के साथ फसल 
बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी,क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई थी ! किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को, की फ़सल कैसे करते 
हैं ,बेकार ही इतने बरस हम किसानो को परेशान करते रहे.
फ़सल काटने का समय भी आया ,किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने गया, लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा ,एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया! गेहूं 
की एक भी बाली के अन्दर गेहूं नहीं था ,सारी बालियाँ अन्दर से खाली थी, बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा ,प्रभु ये क्या हुआ ?
तब परमात्मा बोले,” ये तो होना ही था ,तुमने पौधों को संघर्ष का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया . ना तेज धूप में उनको तपने दिया , ना आंधी ओलों से जूझने 
दिया ,उनको किसी प्रकार की चुनौती का अहसास जरा भी नहीं होने दिया , इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए, जब आंधी आती है, तेज बारिश होती है ओले 
गिरते हैं तब पोधा अपने बल से ही खड़ा रहता है, वो अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष करता है और इस संघर्ष से जो बल पैदा होता है वोही उसे शक्ति देता है 
,उर्जा देता है, उसकी जीवटता को उभारता है.सोने को भी कुंदन बनने के लिए आग में तपने , हथौड़ी से पिटने,गलने जैसी चुनोतियो से गुजरना पड़ता है तभी 
उसकी स्वर्णिम आभा उभरती है,उसे अनमोल बनाती है !”
उसी तरह जिंदगी में भी अगर संघर्ष ना हो ,चुनौती ना हो तो आदमी खोखला ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण नहीं पाता ! ये चुनोतियाँ ही हैं जो 
आदमी रूपी तलवार को धार देती हैं ,उसे सशक्त और प्रखर बनाती हैं, अगर प्रतिभाशाली बनना है तो चुनोतियाँ तो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी, अन्यथा हम 
खोखले ही रह जायेंगे. अगर जिंदगी में प्रखर बनना है,प्रतिभाशाली बनना है ,तो संघर्ष और चुनोतियो का सामना तो करना ही पड़ेगा !