Tuesday, November 4, 2014

Hindi Motivational Stories....एक सेठ की कहानी

एक सेठ की कहानी 

सदी पुरानी बात है  एक गॉव में सेठ रहता था बहुत धनवान था ईश्वर का दिया सब कुछ था। सेठ रोज सुबह सुबह लोटा लेकर मंदिर जाते और जल चढ़ाकर पूजा पाठ करके घर आते। एक दिन रास्ते में एक सन्त महात्मा बैठे थे ,उसने सेठ को देखा तो राम राम कहा  सेठ ने उसकी तरफ देखा अनदेखा किया। सन्त ज्ञानी थे वे समझ गए सेठ को डर है कही कोई कुछ माँग न ले,इस लिए उन्होंने  प्रतिक्रिया नहीं दी। पर सन्त ने मन में सोच लिए सेठ का ये डर निकाल देने कि पैसे का मोह निकाल देने की। 

दूसरे दिन सुबह ही सन्त ने सेठ जैसा रूप धारण कर लिया और सेठ के घर के अन्दर चला गया। सेठ का बेटे ने देखा की आज पिताजी जल्दी कैसे आ गये। उसने पूछा पिताजी आप आज जल्दी कैसे आ गए ? सन्त जो सेठ का रूप धारण किया था कहा 'बेटे कुछ मत पूछो एक बहुरुपिया बिलकुल मेरे जैसा रूप धारण करके इस गॉव में आया है। मुझे डर लगा कही वो घर के अन्दर ना गुस आये ,इसलिये हम जल्दी आ गए है आप चौकीदार को कह देना कोई मेरे जैसा रूप धारण कर आये तो उसे भागा देना दरवाजे आदि बंद कर देना। " लड़के ने कहा ठीक है। और उधर सेठ पूजा अादि कर घर आये तो चौकीदार उसे रोका ,सेठ चौकीदार से कहा - तू पागल हो गया क्या , मुझे रोकने की हिम्मत कैसे कर रहा है। चौकीदार ने कहा - 'सेठ तो अन्दर है ,आप बहुरुपिया हो इसलिए अब आप यहाँ से चले जॉव ' उसी समय उसका लड़का भी खिड़की से कहा चले जॉव ! ये सुनकर सेठ बिलकुल चौक गया उसका दिमाग चकराने लगा। 

सेठ वहा से राजा के यहाँ गया और बोला ऐसी ऐसी बात है। राजा ने कहा तो ठीक है अभी सेठ को बुलाते है कौन असली है और कौन नकली है पता लगा देते है। राजा का एक सिपाही सेठ के घर आया और सेठ को खबर दी सेठ ने लडके को कहा देखो वो बहुरुपिया राजा के पास गया है। लड़के ने कहा 'अब क्या करे ' सन्त जो सेठ का रूप धारण किया था कहा कोई बात नहीं चलते है। तुम तैयारी करो ,सेठ अपने घोडा गाड़ी के साथ बड़े रुबाब के साथ राजा से मिला और कहा प्रणाम राजा साहब कैसे है आप ? राजा ने कहा मै तो ठीक हूँ लेकिन ये बताईये आप में से असली कौन है ? इस का अभी फैसला करते है आपके पास हमारा बही खाता का खिताब है। उसे निकालो मैं तुम्हे बता देता हूँ। आप देखते रहना। सन्त जो सेठ के रूप में था उसने बिना देखे सारा लिखा हिसाब पालने को ये तारिक को ये रक्कम दिया है और उसमें से इतना आया है इतना बाकी है।बता दिया और  ये सब बाते सूनकर असली सेठ तो हक्का बक्का रह गया। 

और राजा ने असली सेठ को नकली समझ उसे दण्ड दे दिया। लेकिन फिर सन्त जो सेठ बना था उसने कहा इसे माफ़ कर दो राजा। इसने मेरा कुछ नुकसान नहीं किया है। राजा ने उसे छोड़ दिया। और दूसरे दिन फिर से सेठ अपने घर गये तो सब कुछ वैसे ही था ,पर सेठ का मन बदल गया था। और सुबह मंदिर जाते समय सेठ को वाही सन्त महात्मा बैठे दिखाई दिये सेठ ने उन्हें राम राम किया और फिर आगे बड़े। 

सीख - व्यक्ति को कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिये या उनका तिरस्कार नहीं करना है। ये संसार ईश्वर का बनाया है हम सब  अपना अपना पाठ बजाने आये है। तो सब के साथ प्यार से बातचीत कर चलना है। 

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