Thursday, August 7, 2014

Hindi Motivational stories.............किसान और देव इंद्र ( S.M)

किसान और देव इंद्र

  एक गाँव में बहुत किसान रहते थे सब में बहुत एकता थी और सब खेती करते थे। गाँव में हर साल दिवाली पर खूब खुशियाँ मनाई जाती थी। .... किसानों की एकता बहुत मजबूत थी किसी के भी अगर घर कुछ होता जैसे कोई बीमार हुआ तो सारा गाँव एक हो जाता था और उस व्यक्ति की सेवा में लग जाता। समय के अन्तराल में काफी परिवर्तन आता गया और एक बार उस गाँव में एक साल अकाल आया बारिश नहीं हुई और सब एक दूसरे को देखते पर अब पेट का सवाल था।

     गाँव से कुछ लोग शहर की तरफ चल दिये कोई मित्र रिश्तेदार के यहाँ गए।   इस तरह गाँव की आबादी कम हुई और किसानों की मन्सा बदली और वे सोचने लगे की इस बार फसल हो तो उसे संजोए रखेंगे ताकि वो साल बार चल सके। इस बीच कृषि विज्ञान के लोग उस गाँव में गए और किसानों से बात किया कुछ किसान उनकी बातों में आ गए और ज्यादा फसल की लोभ में आ गए और  केमिकल दवाओं का इस्तेमाल खेती में होने लगी। और उस साल बारिश भी अच्छी हुई। समय के चलते खेती ज्यादा होने लगी और गाँव में फिर एक बार खुशाली हुई। और ये कुछ समय तक चला। लेकिन अब किसान दवाओं के अधीन हुआ उसके बिना खेती नहीं करता और वह आराम पसंद बन गया। मेहनत नहीं करता। आज उसके पास बैलगाड़ी की जगह मोटर है।अच्छे सीमेंट का माकन है। आधुनिक जीवन शैली में रहता है।

    समय का चक्र एक बार फिर पलटा और एक साल बारिश नहीं हुई। अब फिर सब किसान परेशान और सब एक दूसरे की तरफ देखने लगे क्या किया जाय ? गाँव का मुखिया ने सब किसानों से बात की और निष्कर्ष ये हुआ की सब किसान एक दिन इंद्र की पूजा करेंगे बारिश के लिए। निश्चित दिन और समय पर गाँव के बाहर सब किसान  साथ जमा हुवे। और पूजा करने लगे। आरती के बाद जब सब घर की तरफ चलने ही वाले थे। तो अचानक एक बूढ़ा ब्राह्मण वहाँ आया बूढ़े ब्राह्मण को देख सब किसान रुख गए। और ब्राह्मण ने पूछा आप लोग पूजा क्यों कर रहे हो। बारिश के लिए सब किसानो ने कहा। ब्राह्मण ने कहा बारिश तो खुदरत की  देन है। इस के लिए पूजा नहीं प्रकृति का विधी नियम समझना होगा। किसानो ने पूछा वो कैसे करे ?

   ब्राह्मण ने उन्हें बताया की इस संसार में परिवर्तन चक्र फिरता रहता है। लोभ लालच के कारन अपने खेती में दवाओ का उपयोग प्रमाण से ज्यादा किया और जिस के कारन भूमि की शक्ति कम हुई और हमने जितने पेड़ थे उन्हें काट दिया। और पशुधन के बजाय मोटर गाड़ी का उपयोग करना शुरू किया। ये सब चीजे अल्प काल के लिये सुख देते है। सदा का सुख तो खुदरत के नियम से चलने में है। दवाओ का उपयोग बंद और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाये। और पशु धन का उपयोग कर उस से ही खेती करना है। इतना कहकर ब्राह्मण अदृश्य हुआ।

 किसानो को अपनी ग़लती का एहसास हुआ। और वे पहले की तरह खेती करने लगे सब दवाओं का उपयोग बंद करके। जैविक विधि से खेती करने लगे। और उस गाँव में फिर से परिवर्तन आया। और किसान ख़ुशी में रहने लगे।
सीख - वक्त के साथ बदलाव आता जरूर है पर अधिक लोभ से अपना ही नुकसान कर बैठते है। इस लिए समय के साथ हर बात ज्ञान रखे  परिवर्तन करे। तो ज्यादा नुकसान से बच जायेंगे।

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