Saturday, June 7, 2014

Hindi Motivational stories....बुद्धि ही धनवान बनाती है

बुद्धि ही धनवान बनाती है

    एक रेल में बचपण के तीन साथी यात्रा कर रहे थे। एक निर्धन था, एक मध्यम वर्ग का और एक धनी परिवार से। साथ में धनी साथी के पिता भी थे। बातें चल निकली। निर्धन मित्र बोला की आप लोग भाग्यशाली है जो सुख से रह रहे है, मैं तो अभागा ही रह गया। और इतने में ट्रैन रुकी। धनी साथी के पिता ने गन्ने ख़रीदे और तीनों साथियों को बराबर बाट दिया। पहला मित्र गन्ने को छिला और चूसकर वही कचरे को सीट के निचे फेक दिया। दूसरा मित्र  मध्यम  परिवार से था। उसने भी गन्ने को छिला और चूसकर कचरे को एक अख़बार में लपेट कर अगले स्टेशन पर कचरे के डिब्बे में डाल दिया। पर तीसरे मित्र ने गन्ने को चाकू से छिला। छिलकों को एक तरफ रख दिया। गन्ना चूसकर कचरा पात्र में डाल दि। सावधानी पूर्वक छिले गये छिलकों को दो रंगों में रंग कर उसने उनका एक पंखा बना दिया और उसे अगले स्टेशन पर बेच दिया।

    यह सारा माजरा धनी साथी के पिता देख रहे थे। उन्होंने कहा कि बेटे ! गन्ने तुम तीनों चूसे। निर्धन युवक को सम्बोधित करते हुए वे बोले - बेटे तूने गन्ना चूसा पर दूसरों के लिये परेशानी पैदा कर दी। बचपन में तुम तीनों साथ पढ़े, तू नदी किनारे खेलता ही रहा, पढ़ा ही नहीं। दूसरे ने कुछ पढ़ा तो उसने कुछ कमाया भी। उसने गन्ना चूसा पर दुसरो को परेशानी नहीं दी। मेरे बेटे ने गन्ना भी चूसा, मगर किसी को परेशान किये बिना कमाया भी।

सीख  - ये कहानी हमें अपना बुद्धि का सदुपयोग करना सीखता है। इस लिए अपने बुद्धि  सदुपयोग कर सुख दो और सुख लो। 

No comments:

Post a Comment