Tuesday, June 17, 2014

Hindi Motivational Stories......................गुरु और शिष्य

गुरु और शिष्य

  एक गुरु थे। जब वे बूढ़े हुए तो उनको चिन्ता होने लगी कि मेरे जाने के बाद मेरा स्थान कौन लेगा।और एक दिन, एक व्यक्ति उनके पास आया, वह स्वाभाव से बड़ा चंचल था। वह बोला, गुरु जी मैं आपको अपना गुरु बनाना चाहता हूँ, आपके पास रहना चाहता हूँ। गुरु उसे अपने पास रहने देते है। थोड़े दिन वह गुरु के आश्रम में रहता है। और कुछ ही दिनों के बाद वह आश्रम और गुरु के साथ रहने के बाद सोचने लगता है मैं तो अब अच्छा बन गया हूँ। गुरु के पास एक जादू की छड़ी होती है जिस से दुसरो के अन्दर के अवगुण दिखाई देते थे।

    एक दिन वह गुरु से जिद्द करके उन से एक वरदान माँगता है और उस वरदान में वह गुरु की छड़ी माँग लेता है। गुरु न चाहते भी उसे छड़ी देते है। और कहते है - कि इस छड़ी को तुम अपने पास रखना। इस से तुम्हें सब जानने को मिलेगा। अब वह छोड़ी लेने के बाद उसका मन बार-बार उसका उपयोग करके देखने का विचार करने लगा। और वह छड़ी लेकर सब को लगा कर देखता है और उसमें सब के अवगुण, दोष दिखाई देता है तो सारा दिन उसे देखता रहता। गुरु उस पर बहुत शिक्षा व सावधानियाँ सिखाने में मेहनत करते है। लेकिन उसका एक अवगुण था आश्रम में आने वाले हर शिष्य की कमी-कमजोरियाँ देखना और वर्णन करना। सब को कहता कि आप लोग बहुत अवगुणी हो। जिस की वजह से गुरु और आश्रम में आने वाले परेशान थे।

      एक दिन शिष्यों ने गुरु को उस लडके के बारे में बताया, शिकायत किया, गुरु ने उन लोगो को समझा बुझाकर  भेज दिया। उस के बाद गुरु ने लडके को अपने पास बिठाकर बहुत समझाया और यह तक कहा - कि तुम मेरी शिक्षा के लायक नहीं हो, अंतः तुम यहाँ से चले जाओ। परन्तु उस लडके ने कहा - कि गुरु जी मैं सुधर जाऊँगा। आपको छोड़कर नहीं जाऊँगा। गुरु जी ने उसे क्षमा कर दिया। परन्तु उसकी पर-निन्दा की आदत नहीं छूटी।

   एक दिन उस लड़के के मन में ख्याल आता है कि अभी तक यह छड़ी सभी शिष्यों पर आजमाई है क्यों न आज इसे गुरु जी पर आजमाया जाय। यह सोचकर वह गुरु के पास जाता है, उस समय गुरु जी सो रहे थे। वह छड़ी लगा कर देखता है तो उस दिन गुरु जी के मन में उसके प्रति क्रोध दिखाई देता है। जो वह उस छड़ी से देखता है। यह क्या ! सब में दोष है लेकिन मैं जिसको गुरु बनाया उन में भी दोष है तो क्या इनको गुरु बनाना चाहिए ? चलो इस आश्रम से, यहाँ रहना ठीक नहीं है।

   सवेरा होता है वह गुरु के पास जाता है विदा लेने और सारी बात बता देता है, गुरु जी उसको कहते है, ठीक है तुम जाओ लेकिन जाने से पहले तुम यह छड़ी खुद को भी लगाकर देखो। वह छड़ी खुद पर लगता है, तो देखता है कि वह छड़ी पूरी ही अवगुण बुराई से भर गयी है। तो उसको खुद पर शर्म आती है और कहता है कि आप में तो एक-दो दोष है लेकिन मैं तो अभी भी पूरा अवगुणों से भरा हुआ हूँ। और फिर बहुत पश्चाताप करता है। गुरु से कहता है -  आगे से मैं ऐसे कर्म नहीं करूँगा। ऐसा वायदा करता हूँ। …

सीख - पर चिन्तन पतन की जड़ है - इस लिये हमें अगर जीवन में उन्नति करनी है तो दूसरों के अवगुण के बजाय खुद के अवगुण देखना है और अपने में सुधार करना है। अगर देखना ही  सब के गुणों को देखो और प्रभु का गुणगान करो।


  

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