Tuesday, May 6, 2014

Hindi Motivational Stories - " शंका दुःख का कारण "

शंका दुःख का कारण

     मेरे दोस्तों हम सब जीवन जीते है हमारा खाना पहनावा लग भग एक जैसा ही है १९ /२० का फरक वो एक अलग बात है। जीवन में सुख सब चाहते है और इस सुख के लिये हम वस्तु वैभव और दूसरों से अपेक्षाएँ करते है पर फिर भी सुख पाने की आशा बानी ही रहती है। और एक सुखमय सन्सार दुःख में कैसे बदलता है इस के लिए एक छोटी कहानी के दवरा समझेंगे।

          एक बहुत ही प्यारा परिवार था, राम और श्याम दो सागे भाई थे। दोनों का आपस में बहुत प्यार था,  दोनों की पत्नियाँ भी सुशील और संस्कारी थी। गृहस्थी बड़े सुन्दर ढंग से चल रही थी। राम यदि कोई भी वस्तु अपनी पत्नी के लिए लाता तो ठीक वैसे ही श्याम की पत्नी के लिए भी लाता था। खुद के लिए कोई  वस्तु  लाता तो ठीक वैसी ही अपने छोटे भाई के लिए भी ले आता था। अब एक बार राम एक जैसी दो साड़ीयाँ लाया। उसने अपनी पत्नी से कहा - पहले छोटी बहु को पसन्द की साड़ी दे देना, बची हुई तुम रख लेना। पत्नी ने वैसा ही किया।

        एक किसी प्रसंग पर दोनों ने वे साड़ीयाँ पहनी थी। अब हुआ ऐसा की राम की पत्नी की साड़ी की अन्य महिलाओं ने तारीफ की जब कि श्याम की पत्नी की साड़ी का सिर्फ रंग ही अलग था पर किसी ने भी उसकी तारीफ नहीं की। बस, शंका का जन्म हो गया कि जान-बूझकर मेरे जेठ ने अलग रंग की साड़ीयाँ खरीदी है। दोनों भाईयों में जो आज तक अपूर्व विश्वास था , सिर्फ एक छोटी-सी शंका ने ऐसा कहर ढा दिया कि उनकी गृहस्थी पूर्णतः नर्क में परिवर्तित हो गयी। दोनों परिवार साथ रहते थे पर शंका के कारण दोनों अलग अलग परिवार में रहने लगे।

सीख - दोस्तों इस कहानी से एक बात हम सीख सकते है चाहे कुछ भी हो शंका को दूर ही रहने देना चाहिए। क्यों की शंका ही दुःख का मुख्या कारण है। 

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