Monday, May 5, 2014

Hindi Motivational Stories - ' तृष्णा दुःख का कारण '

' तृष्णा दुःख का कारण '

    एक गरीब कलाकार की कला पर प्रसन्न होकर राजा ने उसे अशर्फियों से भरें (८ १/२ ) साढ़े आठ घड़े इनाम में दे दिया। कलाकार  के मन में प्रसन्नता तो हुई पर साथ ही एक चाह - सी उठी कि नवाँ घड़ा आधी खाली है, भर जाए तो कितना अच्छा हो। इस विचार ने उसे बेचैन कर दिया और वहा मारा- मारा फिरने लगा कि कहीं से आधा घड़ा अशर्फियाँ मिले। भरे हुए 8 घड़े उतना सुख नहीं दे पाए जितना दुःख उसे आधे खाली घड़े को देख कर उत्पन्न हो गया। इसलिए कहा जाता - बढ़ता है लोभ अधिक धन के संचय से जब तक एक भी घड़ा नहीं था तो चैन से सोता था, इतने मिल गए तो चैन छीन गया। वाह रे इन्सान, तेरी कैसी प्रवृति है ?

सीख - एक कहावत सुनी होगी आपने  ' आप होत बूढ़े पर तृष्णा होत जवान ' इन्सान के पास जीतना है और जितना मिलता है उसी में आनन्द उठावे यही जीवन का राज है। ये एक सच्ची कला जीवन जीने का जिस में ये कला है वाही इस सृष्टि रुपी नाटक का सच्चा कलाकार है।

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