Wednesday, May 28, 2014

Hindi Motivational Stories - तुलना से असन्तोष

तुलना से असन्तोष 

       एक बार एक मालिक ने १०० रुपये प्रतिदिन के हिसाब से ४ मजदूरों को काम पर लगाया जो सुबह ८ बजे काम पर आते थे और सायंकाल ५ बजे जाते थे। प्रतिदिन दोपहर एक घण्टे की छुट्टी मिलती थी। ये मजदुर नौकरी पाकर खुश थे और बड़ी सन्तुष्टता के साथ कार्य कर रहे थे। कुछ दिन के बाद मालिक ने ४ और मजदूरों को काम पर लगाया जो दोपहर १२ बजे काम पर आते थे और सायं ५ बजे जाते थे। उन्हें भी प्रतिदिन १०० रुपये ही मिलते थे। सुबह आने वाले मजदूरों ने एक-दो दिन तो यह सब देखा फिर उनमें कानाफूसी शुरु हो गयी कि हम ८ घण्टे काम करके भी १०० ही रुपये प्राप्त करते है और ये मजदुर केवल ५ घण्टा काम करते है परन्तु पाते है पुरे १०० रुपये। ऐसा क्यों ?

        धीरे-धीरे यह कानाफूसी जोर पकड़ती गयी। वे अपना काम करते-करते भी बीच-बीच में उन दूसरे मजदूरों को देखने लगे और काम से उनका ध्यान हटने लगा, असंतोष जीवन में छाने लगी, एकाग्रता भंग हो गयी और उनके कार्य में अनेक प्रकार की त्रुटियाँ निकलने लगी। पहले जिनके कार्य की सर्वत्र प्रशंसा हो रही थी, अब उन्ही के कार्य को असंतोषजनक कहा जाने लगा। इस असन्तोष का कारण है तुलना। जब तक तुलना नहीं कि किसी के साथ, पहले वाले मजदुर धन्य थे परन्तु दूसरे मजदूरों से तुलना करके, अपने पलड़े को हल्का पाकर उनके  श्रम में कमी हो गयी और परिश्रम भी कम नज़र आने लगा।

 सीख -  ऐसा ही आज मानव जीवन में भी हो रहा है। व्यक्ति के पास कोई कमी नहीं है परन्तु दूसरे से तुलना करने पर कई कमियाँ निकल ही आती है! तुलना करने के बजाये यदि दूसरे की भौतिक प्राप्तियों को तूल (महत्व ) ना दिया जाये तो इस समस्या का समाधान हो सकता है।




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