Wednesday, April 9, 2014

Hindi Motivational Stories - "अन्तरमन का दरवाजा खोलो"

"अन्तरमन का दरवाजा खोलो"

           एक दरवाजे के पास तीन आदमी आपस में वार्तालाप कर रहे थे। वही से गुजरते हुए किसी महात्मा ने जब उनकी बातें सुनी, तो वह पल भर के लिए वहीं ठहरकर उस दृश्य को देखने लगे। उन तीनों में से पहला बोल रहा था - मै दरवाजे को खुलवाने के लिए जोर से आवाज़ दूंगा। दूसरे ने जवाब दिया - मै तो पुरे जोर से दरवाजे को दस्तक दूँगा। तब तीसरे ने कहा - मै तो बलपूर्वक धक्का लगाकर ही दरवाजा खोल दूँगा।

         तत्क्षण, ये सुनकर पास में खड़े महात्मा जी मुक्त मन से हंस पड़े। कोई अपरिचित व्यक्ति की उपस्थिति महसूस करते हुए तीनों एक ही स्वर में महात्मा जी से पूछ बैठे - कौन है आप ? कृपया ये बताने का कष्ट करे कि आपको हमारी बातें सुनकर हंसी क्यों आयी ? महात्मा जी ने कहा - मै तो राहगीर हूँ। हंसी तो मै आप सबकी चेष्टा देखकर न रोक पाया। लेकिन आपको इस में हंसने जैसे क्या बात दिखाई दी ? भाईयो ! दरवाजा तो खुला ही पड़ा है। महात्मा ने रहस्य खोला। पुनः तीनों ने एक स्वर में बोल पड़े - तो खोलना क्या है ? महात्मा जी कह रहे थे - खोलना है सिर्फ आप तीनों की आँखों पर बंधी ये पट्टियों को।


सीख - हम सब को अन्तरमन का दरवाजा खोलने के लिये पहले देह रूपी इस पट्टी को खोलना याने भूलना होगा अतार्थ अपने मन और बुद्धि से आत्मा का चिन्तन करना  ही अन्तरमन का दरवाजा खोलना है

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