Saturday, April 26, 2014

Hindi Motivational Stories - " व्यक्ति की पहचान, बोल "

व्यक्ति की पहचान, बोल 

            एक बार एक जंगल में राजा, मंत्री और दरबान रास्ता भूल गये। तीनों ही एक दूसरे से बिछड़ गये थे। राजा इधर उधर देखता हुआ एक पेड़ के पास आया और उस पेड़ के नीचे एक फ़क़ीर को  बैठा हुआ देखा। (जो की अन्धा था ) राजा ने फ़क़ीर से पूछा हे प्रज्ञाचक्षु क्या यह रास्ता नगर की तरफ जायेगा ? हाँ राजन, यह रास्ता नगर की तरह जायेगा। और थोड़ी देर बाद मंत्री उसी जगह पर आया और फ़क़ीर से पूछा हे सूरदास क्या यह रास्ता नगर की ओर जायेगा। हाँ मंत्रीजी नगर की ओर ही जायेगा। और अभी अभी राजा जी इसी रास्ते से गये है। उसके बाद दरबान आता है और रोब से पूछता है अबे औ अन्धे, क्या यहाँ से कोई आगे गया है ? हाँ दरबान जी यहाँ से राजा और मंत्री जी आगे गये है। आगे जाने पर थोड़ी दूरी पर राजा, मंत्री और दरबान तीनों इकट्ठे मिल जाते है। और हरेक उस अन्धे फ़क़ीर के साथ हुई बात के बारे में एक-दूसरे को बताया। बिना आँखों के उसने कैसे पहचान लिया कि कौन राजा,कौन मंत्री, तथा कौन दरबान ? तब तीनों मिलकर फ़क़ीर के पास गये और अपना प्रश्न पूछा। तब फ़क़ीर ने कहा आप तीनों को वाणी तथा शब्दों से मैंने पहचान लिया कि कौन कौन है ? 'प्रज्ञाचक्षु' जैसा कर्ण मधुर शब्द राजा के मुख पर ही हो सकता है। सूरदास इतना मधुर नहीं तो इतना कठोर भी नहीं इसलिए मंत्री हो सकता है और अन्धे के सम्बोधन से तथा रोब से दरबान जी भी तुरन्त पहचाने गये।

     नाक, कान, हाथ-पाँव पर से मनुष्य जीतनी जल्दी नहीं पहचाना जा सकता लेकिन भाषा व्यक्ति की परख देती है। इस लिए किसी ने कहा है -

         वाणी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय। 
      औरों को शीतल कर, आपे ही शीतल होय।।

सीख - हर व्यक्ति से मीठा व्यव्हार रखो मीठा बोलो बोल ही हमारे सच्ची पहचान है। 

No comments:

Post a Comment