Saturday, April 26, 2014

Hindi Motivational Stories - ' उन्नति में विघ्न रूप ईर्ष्या '

उन्नति में विघ्न रूप ईर्ष्या 

किसी मोहल्ले में कुछ बच्चे छोटे छोटे शीशे के मर्तबान लेकर बैठे थे। सभी मर्तबानों पर ढक्कन भी लगा हुआ था और हरेक बच्चे ने अपने-अपने मर्तबान में कोई-न- कोई छोटा मोटा जन्तु, कीड़ा, मच्छर कैद कर रखा था। वे देख रहे थे कि किस प्रकार ये जन्तु उछाल-उछाल कर मर्तबान से बाहर निकलने की कोशिश करते थे परन्तु ढक्कन बन्द होने के कारण निकल नहीं पाते थे। ज्यों ही वे जरा सा ढक्कन ऊपर करते, तत्क्षण ही वे उछाल कर बाहर निकल आते और वे बच्चे फिर उसे पकड़ कर अन्दर बन्द कर देते।  इस प्रकार ये बच्चे खेल में मस्त थे।

        परन्तु इन्हीं बच्चों के साथ एक बच्चा ऐसा भी था जिसके पास मर्तबान तो थे पर उसका ढक्कन नहीं था उसके मर्तबान में दो केकड़े थे। केकड़े मर्तबान के बीच में उछलते भी थे परन्तु ढक्कन न होने पर भी उस मर्तबान से बाहर नहीं आ पाते थे। सभी बच्चे इस दृश्य को देख हैरान हो रहे थे। वे सोच रहे थे कि उनके मर्तबान का ज्यों ही ढक्कन उठता है, तो मर्तबान में पड़ा जन्तु फ़ौरन उछाल कर बाहर आ जाता है परन्तु इसके मर्तबान पर तो ढक्कन भी नहीं है। फिर भी इसके केकड़े बाहर क्यों नहीं आ रहे। वे आपस में खुसर-पुसर करने लगे और कहने लगे कि ये केकड़े जरूर कमजोर होंगे तभी तो ढक्कन खुला होने पर भी ये बाहर नहीं आ रहे है। आखिर उन में से एक बच्चे ने उस बच्चे से पूछ ही लिया - क्या तुम्हारे ये केकड़े कमजोर है जो मर्तबान पर ढक्कन न लगा होने पर भी ये उससे बाहर नहीं आ पाते ? उसने जवाब दिया - अरे नहीं, ये तो बहुत बलवान है। परन्तु इनके बाहर न आ पाने का भी एक राज है। वह क्या राज है ? सभी बच्चे एक आवाज़ में बोल उठे। उसने कहा - बात यह है कि ये दोनों केकड़े एक दूसरे से बढ़कर कर ताकतवर है। परन्तु जब एक बाहर निकलने के लिए उछलता है तो दूसरा केकड़ा उसकी टाँग खीच लेता है और जब दूसरा केकड़ा छलाँग लगता है तो पहला उसकी टाँग खींच लेता है। और इस प्रकार दोनों ही एक दूसरे की टाँग खींचते रहते है और दोनों में से कोई भी बाहर नहीं आ पाता।

      इस राज को सुनकर सभी खिलखिला कर हँस पड़े। ठीक ऐसी ही हालत आज के संसार की है। इस संसार में कई मनुष्य ऐसे है जिन्हें आगे बढ़ने का मौका ही नहीं मिलता मानो कि उनका ढक्कन बन्द है। अगर उन्हें मौका मिले तो वे बहुत जल्दी ही उन्नति कर सकते है परन्तु चाहे कोई भी वजह हो, उन्हें मौका नहीं मिलता है, वे उसके लिए प्रयास भी करते है परन्तु कुछ अन्य ईर्ष्यालु व्यक्ति उनकी टाँग खींच लेते है याने उनके प्रयास में वे कोई- न -कोई विघ्न डाल देते है। इससे न वे खुद आगे बढ़ पाते है न औरों को ही बढ़ने देते है। 

सीख - इस कहानी से यही सीख मिलता है कि हमें एक दूसरे से ईर्ष्या नहीं करना है एक दूसरे को आगे बढ़ने के लिए मदत करना है और हर एक की विशेषता को देख उन्हें उस अनुसार मौका देना है। तभी हम भी उन्नति की और बढ़ सकते है। 

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