Sunday, March 30, 2014

Hindi Motivational Stories - ' सच्चा सुख सन्तुष्टता में '

सच्चा  सुख सन्तुष्टता में 

             एक सेठ बहुत सम्पत्ति का मालिक था। उसके पास इतनी सम्पत्ति थी कि उसकी १० पीढिय़ाँ बैठकर खा सकती थी।  परन्तु फिर भी वह सेठ हमेशा चिंताग्रस्त रहता था और चिन्ता का कारण यह था कि मेरी ११ वी पीढ़ी का क्या होगा ? उसके लिये तो मैंने कुछ भी नहीं जमा किया। इसी चिन्ता ने उसे रोगग्रस्त कर दिया और दिन - प्रतिदिन उसकी सेहत बिगड़ती चली गई। उसकी बिगड़ती सेहत को देखकर उसका एक शुभ - चिन्तक उसके पास आया और उसे सलाह दी कि पास के जंगल में एक साधु जी रहते है आप उनके पास जाये वे आपकी चिन्ता के निवारण अर्थ कोई न कोई उपाय जरुर करेंगे। यह सुनकर सेठ के मन में आशा की एक किरण जगी। अगले दिन वह साधु के दर्शन के लिये चल दिया। वैसे तो सेठ बहुत कंजूस था परन्तु कुछ प्राप्ति की आशा थी इसलिए अपने साथ एक फल की टोकरी ले गया था।

            जब सेठ साधू के पास गया तो उस समय साधू जी ध्यान में मग्न थे। सेठ ने बड़ी श्रद्धा से साधू को प्रणाम किया और फल की टोकरी आगे बढ़ाते हुए बोला - महाराज ! मेरी ये छोटी से भेंट स्वीकार कीजिये। साधु ने धीरे से आँखे खोली, फल की टोकरी और सेठ को देखा और कुटिया के दूसरे तरफ रखी फल की टोकरी की तरफ इशारा करते हुए साधू बोले - बेटा, भगवन (दाता ) ने मेरे लिए भोजन भेज दिया है। अब इसकी आवश्कता नहीं है। और हाँ, तुम अपनी समस्या मुझे बताओ। यदि सम्भव हुआ तो मै उसका समाधान तुम्हें बताऊँगा।

            साधू के यह बड़ी शान्ति थी और उस शान्ति के वातावरण में सेठ की आत्मा जग गयी। सेठ ने देखा साधू के पास एक टोकरा फल का है तो वह दूसरे की कामना ही नहीं रखता। और साधू के चेहरे पर शान्ति है। भरपूर है कोई कामना नहीं है। न आज कि न कल कि। .... येही बात खुद से सेठ ने जानी सोचा मेरे पास अथाह सम्पत्ति होते हुए भी मै और सम्पत्ति की कामनाओं में खोया रहता हूँ तथा दुःखी होता रहता हूँ। अपने अन्तर मन का बोध हुआ और वह साधू के चरणों में गिर पड़ा और बोला - महाराज, मेरे सवालों का जवाब मुझे मिल गया है।  आज मुझे मालूम हुआ है कि सच्चा सुख सन्तुष्टता में है न कि कामनाओं का विस्तार करने से।

सीख - वास्तव में आज मनुष्य अपनी इछाअो के पीछे भागता जा रहा है और ये इछाये मृगतृष्णा समान है। वो कभी पुरे नहीं होने है। लालच व्यक्ति को अंधा बना देता है। इस लिए इछाओ को कम करो अपने आप दुःख कम होगा।

                   

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