Wednesday, March 26, 2014

Hindi Motivational stories - " पहले तोलो, फिर बोलो "

पहले तोलो, फिर बोलो

          कोयल कि मीठी आवाज़ सुनने के लिये सभी लालायित रहते है,  मगर कौवे की नहीं। क्यों ? तो चलिए जानते है एक कहानी के द्वारा - एक  बार एक कौवा बड़ी तेजी से उड़ा जा रहा था।  कोयल ने देखा कौवा बड़ी तेजी से जा रहा है। कोयल ने पूछा - भैय्या, इतने उतावले होकर कहाँ जा रहे हो ? क्या बात है ? कौवा बोला - बहन, मै जहाँ जाता हूँ मुझे भगा दिया जाता है, मुझे अपमान मिलता है, सत्कार नहीं।  इसलिये यहाँ से कही दूर, दूसरे देश में चला जा रहा हूँ। वहाँ तो अपरिचित ही रहूँगा।  तो सभी मुझे सम्मान की दुष्टि से देखेंगे।
     
        कोयल ने कहा - भय्या, बात तो ठीक है, लेकिन अपनी बोली बदलते जाना। कॉव- कॉव को बदल देना। अगर इस को नहीं बदला तो वहाँ भी आदर सत्कार नहीं मिलेगा। यह जो तुम्हारे प्रति घृणा है वह इस वाणी के कारण है। इस कर्कश और सुखी बोली को बदल दो, फिर कही भी चले जाओ सभी जगह सम्मान होगा।

         कौवा ध्यान से सुन रहा था। और उसी समय उसकी नज़र कोयल के गले में पड़े हार पर पड़ी, उसका मन ललचा गया कौवे ने पूछा - बहन यह उपहार तुम्हें कहाँ से मिला है ? कोयल ने कहा - मै स्वर्ग लोक गई थी वहाँ मैंने गाना सुनाया। मेरे गाने को सुनकर इंद्र प्रसन्न हुए और उन्होंने मुझे ये हार उपहार में दिया। कौवे ने भी सोचा कि सिर्फ गाना सुनाने से यदि हार मिलता है तो मै भी स्वर्ग में जाकर गाना सुनाऊँगी और हार ले आऊँगा। बिना अभ्यास किये ही कौवा  स्वर्गलोक गया और इंद्र से बोला - मै भू - लोक से आया हूँ। गाना सुनना चाहता हूँ। पहले मेरी बहन आई थी, अब मै आया हूँ। इंद्र ने सोचा - भाई और बहन का रंग - रूप तो मिलता है।  बहन का कण्ठ तो बड़ा सुरीला था। इसका भी सुरीला होगा। अब इसका भी सुन लेते है । इंद्र ने सारे देवताओं को भी सुनने के लिए आमंत्रित किया सभागार सभी देवताओं से भर गया। इंद्र ने कौवे से कहा अच्छा अब आप अपना गाना सुनाओ। कौवे ने गाना शुरू किया। कुछ ही क्षण में सभी चिल्ला उठे बन्द करो, बंद करो। हमारे कान फटे जा रहे है इंद्र ने कहा हे भू - लोक वासी ! बन्द करो अपना काँव - काँव करना और चले जाओ यहाँ से। कौवा सकपका गया और सोचने लगा - हार तो नहीं मिला, तिरस्कार ही मिला। कोयल ने ठीक ही कहा था कि बोली को बदले बिना जहाँ भी जाओगे निकाल दिए जाओगे। आदर नहीं मिलेगा।  इस लिए संसार में भी बोल का ही महत्व है। 

सीख - आज कि दुनियाँ में भी अगर कोई व्यक्ति कड़वे, कटाक्ष और कर्कश बोल बोलता है तो लोग उस से दूर ही रहते है। लेकिन कोई व्यक्ति सुमधुर, मिठे, अदारयुक्त बोल बोलता है तो सभी उसका सम्मान करते है। कहा भी जाता है - बोल के घाव तीर और तलवार से भी तीखे होते है। और इतिहास इसका साक्षी है कि कृष्ण के मधुर वचन सुनकर अर्जुन का मोह समाप्त हो गया और दूसरी ओर द्रोपदी के कटाक्ष के दो बोल से महाभारत हो गया। मंथरा ने अपने कड़वे बोल से कैकेई के अन्दर राम के प्रति भावना ही बदल दी। ऐसे अनेक उदहारण हमारे सामने है।  इस लिए मिठे बोलो, कम बोलो, आदर युक्त बोलो येही सफलता का राज है। 

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