Wednesday, September 11, 2013

" आप इतना खुश रहो "

" आप इतना खुश रहो "

 

आप इतना खुश रहो जैसे इस फोटो मे
खुशी को दर्शाया है

आपकी खुशी इतनी हो  की जो भी
आप से मिले वो खुश हो जय
और आपकी खुशी नीले आसमान तक जा मिले

आप इतना खुश रहो जैसे इस फोटो मे
खुशी को दर्शाया है

कल रात एक सपना देखा
आपकी आँखो मे नया दुनिया देखा
जहा खुशी आपके चहरे पर थी
आपके आस पास जो भी लोग थे
वो सब रस करते नज़र आए

आप इतना खुश रहो जैसे इस फोटो मे
खुशी को दर्शाया है

एक बात मै  और कहना चाहूँगा
एक बार फोटो को ध्यान से देखना
खुशी उन्हे ही मिलती है
जिनके पाव धरती से उपर हो और
आसमान को छूने  की तम्मना दिल मे हो

आप इतना खुश रहो जैसे इस फोटो मे
खुशी को दर्शाया है

Re Kabira Maan Jaa.. (Hindi Lyrics)

हा आ आ  हा न। ।रे

कैसी तेरी ख़ुदग़रजी 

ना धूप चुने ना छाव
कैसी तेरी ख़ुदग़रजी

किसी तौर टीके ना पाव

कैसी तेरी ख़ुदग़रजी 

ना धूप चुने ना छाव
कैसी तेरी ख़ुदग़रजी 

किसी तौर टीके ना पाव

बन लिया अपना पैगंबर

तैर  लिया तू सात समंदर

फिर भी सूखा मन  के अंदर

क्यूँ रहेगा

रे कबीरा मान जा

रे फकीरा मान जा

आजा तुझको पुकारें

तेरी परच्छाइयाँ


रे कबीरा मान जा 
रे फकीरा मान जा 

कैसा तू है निर्मोही कैसा हरजैइ 

टूटती चारपाई वोही

ठंडी पुरवाई  रास्ता देखें
दूधो  की मलाई वोही

मिट्टी की सुराही रास्ता देखें

कैसी तेरी ख़ुदग़रजी

लब नाम तेरा मेरा मिशरी

कैसी तेरी ख़ुदग़रजी

तुझे प्रीत पुरानी बिसरी

मस्त मौला, मस्त कलंदर

तू हवा का एक बवंडर

बुझ के यूँ अंदर ही अंदर

क्यूँ रहेगा


रे कबीरा मान जा 
रे फकीरा मान जा 

आजा तुझको पुकारें

तेरी परच्छाइयाँ


रे कबीरा मान जा 
रे फकीरा मान जा

कैसा तू है निर्मोही कैसा हरजैइ 

फ्लिम -ये जावानी है दीवानी 
लिरिक्स -अमिताभ भटाचार्य 
सिंगर्स -रेखा भरद्वाज & तोची रैना


Monday, September 9, 2013

' गणेश चतुर्थी की कथा '

 
 

गणेशजी का यह पूजन करने से विद्या, बुद्धि की तथा ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति तो होती ही है, साथ ही विघ्न-   बाधाओं का भी समूल नाश हो जाता है।

ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम् |
उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम् ||

गाइये गणपति जगवंदन |
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥

सिद्धी सदन गजवदन विनायक |
कृपा सिंधु सुंदर सब लायक़ ॥

मोदक प्रिय मृद मंगल दाता |
विद्या बारिधि बुद्धि विधाता ॥

मांगत तुलसीदास कर ज़ोरे |
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥ 


एक बार भगवान शंकर स्नान करने के लिए कैलाश पर्वत से भोगावती नामक स्थान पर गए।
उनके जाने के बाद पार्वती ने स्नान करते समय अपने तन के मैल से एक पुतला बनाया और उसे सतीव कर दिया।
उसका नाम उन्होंने गणेश रखा। पार्वती जी ने गणेश जी से कहा- 'हे पुत्र! तुम एक मुद्गर लेकर द्वार पर जाकर पहरा दो।
मैं भीतर स्नान कर रही हूं। इसलिए यह ध्यान रखना कि जब तक मैं स्नान न कर लूं,तब तक तुम किसी को भीतर मत आने देना।
उधर थोड़ी देर बाद भोगावती में स्नान करने के बाद जब भगवान शिव जी वापस आए और घर के अंदर प्रवेश करना चाहा तो
गणेशजी ने उन्हें द्वार पर ही रोक दिया। इसे शिवजी ने अपना अपमान समझा और क्रोधित होकर उसका सिर,
धड़ से अलग करके अंदर चले गए। टेढ़ी भृकुटि वाले शिवजी जब अंदर पहुंचे तो पार्वती जी ने उन्हें नाराज़ देखकर समझा
कि भोजन में विलम्ब के कारण महादेव नाराज़ हैं। इसलिए उन्होंने तत्काल दो थालियों में भोजन परोसकर शिवजी को बुलाया और
भोजन करने का निवेदन किया। तब दूसरी थाली देखकर शिवजी ने पार्वती से पूछा-'यह दूसरी थाली किस के लिए लगाई है?'
इस पर पार्वती जी बोली-' अपने पुत्र गणेश के लिए, जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है।' यह सुनकर शिवजी को आश्चर्य हुआ
और बोले- 'तुम्हारा पुत्र पहरा दे रहा है? किंतु मैंने तो अपने को रोके जाने पर उसका सिर धड़ से अलग कर उसकी जीवन
लीला समाप्त कर दी।' यह सुनकर पार्वतीजी बहुत दुखी हुईं और विलाप करने लगीं। उन्होंने शिवजी से पुत्र को पुनर्जीवन देने को कहा।
तब पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर उस बालक के धड़ से जोड़ दिया।
पुत्र गणेश को पुन: जीवित पाकर पार्वती जी बहुत प्रसन्न हुईं। उन्होंने पति और पुत्र को भोजन कराकर फिर स्वयं भोजन किया।
यह घटना भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को घटित हुई थी। इसलिए यह तिथि पुण्य पर्व के रूप में मनाई जाती है।

कैसे मनाएँ :------------

इस दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर सोने, तांबे, मिट्टी अथवा गोबर की गणेशजी की प्रतिमा बनाई जाती है। गणेशजी की इस प्रतिमा को कोरे कलश में जल भरकर, मुंह पर कोरा कपड़ा बांधकर उस पर स्थापित किया जाता है। फिर मूर्ति पर (गणेशजी की) सिन्दूर चढ़ाकर षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए।
गणेशजी को दक्षिणा अर्पित करके 21 लड्डूओं का भोग लगाने का विधान है। इनमें से 5 लड्डू गणेशजी की प्रतिमा के पास रखकर शेष ब्राह्मणों में बांट देने चाहिए। गणेश जी की आरती और पूजा किसी कार्य को प्रारम्भ करने से पहले की जाती है और प्रार्थना करते हैं कि कार्य निर्विघ्न पूरा हो।
गणेशजी का पूजन सायंकाल के समय करना चाहिए। पूजनोपरांत दृष्टि नीची रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य देकर, ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा भी देनी चाहिए।

Saturday, September 7, 2013

जीवन और बसंत ... (My Collection of Peoms)






उल्लास है उमंग है, मन में तरंग है,
जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...
मंद है पवन, न ही शीत-न ही गर्म है,
अंबर है स्वच्छ और चहचहाते विहंग हैं
खिल उठा किसान, देख जौ-फसल की बालियां,
सरसों-फूल-पत्तों से, सजे धरती और डालियां,
पुष्पित कुसुम, नव पल्लव, नई सुंगध है,
जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...
चारों ओर पीत रंग, आम-वृक्ष बौर खिले,
तीर्थ में मेला भरे, वृन्दावन में बिहारी सजें,
सरस्वती-पूजन लाए, जीवन में सुमति-गति,
ये रिवाज हैं जीवंत, क्योंकि आस्था अनंत है,
सूर्य जाए कुंभ में, मौसम सुखमय अत्यंत है,
जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...



पराग से मधु रसपान करें, मधुमक्खी, भवरें, तितलियां,
मौसम-सौंदर्य से गिरें, दिल पर सबके बिजलियां,
सृष्टि के कण-कण में, बजे प्यार का मृदंग है,
सजनी से मिले मीत, रति-काम उत्सव आरंभ है,
कोयल की तान भी, छेड़े राग बसंत है
जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...
मन में उमड़े प्यार, मधुमास तले बेल बढ़े,
इस मौसम-सुगंध में, ऊर्जा बढ़े प्रेम बढ़े,
नई आस नया गीत, प्राण-वायु का संचार करे,
ये है श्रृंगार ऋतु, जीवन  और बहार लिए,
दुल्हन-सा रुप धरे, जिसमें साजन-सी उमंग है,
ह्रदय में उड़ान, जैसे गगन में पतंग है,
उल्लास है उमंग है, मन में तरंग है,
जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...



Friday, September 6, 2013

" दांतों की सुरक्षा "

    दांतों  की  सुरक्षा।

दांतों का नाता सिर्फ खूबसूरती से नहीं होता , बल्कि इनके बिना जिंदगी बेहद मुश्किल हो जाती है। दिक्कत यह है कि हममें से ज्यादातर लोग दांतों की देखभाल को लेकर गंभीर नहीं होते। अगर शुरू से ध्यान दिया जाए तो दांतों की बहुत सारी समस्याओं से बचा जा सकता है।
दुनिया में करीब 90 फीसदी लोगों को दांतों से जुड़ी कोई कोई बीमारी या परेशानी होती है , लेकिन ज्यादातर लोग बहुत ज्यादा दिक्कत होने पर ही डेंटिस्ट के पास जाना पसंद करते हैं। इससे कई बार छोटी बीमारी सीरियस बन जाती है। अगर सही ढंग से साफ - सफाई के अलावा हर 6 महीने में रेग्युलर चेकअप कराते रहें तो दांतों की ज्यादातर बीमारियों को काफी हद तक सीरियस बनने रोका जा सकता है। 


जीभ की सफाई जरूरी : जीभ को टंग क्लीनर और ब्रश , दोनों से साफ किया जा सकता है। टंग क्लीनर का इस्तेमाल इस तरह करें कि खून निकले।

कैसा ब्रश सही : ब्रश सॉफ्ट और आगे से पतला होना चाहिए। करीब दो - तीन महीने में या फिर जब ब्रसल्स फैल जाएं , तो ब्रश बदल देना चाहिए।

टूथपेस्ट की भूमिका : दांतों की सफाई में टूथपेस्ट की ज्यादा भूमिका नहीं होती। यह एक मीडियम है , जो लुब्रिकेशन , फॉमिंग और फ्रेशनिंग का काम करता है। असली एक्शन ब्रश करता है। लेकिन फिर भी अगर टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें , तो उसमें फ्लॉराइड होना चाहिए। यह दांतों में कीड़ा लगने से बचाता है। पिपरमिंट वगैरह से ताजगी का अहसास होता है। टूथपेस्ट मटर के दाने जितना लेना काफी होता है।

पाउडर और मंजन : टूथपाउडर और मंजन के इस्तेमाल से बचें। टूथपाउडर बेशक महीन दिखता है लेकिन काफी खुरदुरा होता है। टूथपाउडर करें तो उंगली से नहीं , बल्कि ब्रश से। मंजन इनेमल को घिस देता है।

दातुन : नीम के दातुन में बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है लेकिन यह दांतों को पूरी तरह साफ नहीं कर पाता। बेहतर विकल्प ब्रश ही है। दातुन करनी ही हो तो पहले उसे अच्छी तरह चबाते रहें। जब दातुन का अगला हिस्सा नरम हो जाए तो फिर उसमें दांत धीरे - धीरे साफ करें। सख्त दातुन दांतों पर जोर - जोर से रगड़ने से दांत घिस जाते हैं।

माउथवॉश : मुंह में अच्छी खुशबू का अहसास कराता है। हाइजीन के लिहाज से अच्छा है लेकिन इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

नींद में दांत पीसना

वजह : गुस्सा , तनाव और आदत की वजह से कई लोग नींद में दांत पीसते हैं। इससे आगे जाकर दांत घिस जाते हैं।

बचाव : नाइटगार्ड यूज करना चाहिए।

स्केलिंग और पॉलिशिंग

दांतों पर जमा गंदगी को साफ करने के लिए स्केलिंग और फिर पॉलिशिंग की जाती है। यह हाथ और अल्ट्रासाउंड मशीन दोनों तरीकों से की जाती है। चाय - कॉफी , पान और तंबाकू आदि खाने से बदरंग हुए दांतों को सफेद करने के लिए ब्लीचिंग की जाती है। दांतों की सफेदी करीब डेढ़ - दो साल टिकती है और उसके बाद दोबारा ब्लीचिंग की जरूरत पड़ सकती है।

चेकअप कब कराएं

अगर कोई परेशानी नहीं है तो कैविटी के लिए अलग से चेकअप कराने की जरूरत नहीं है लेकिन हर छह महीने में एक बार दांतों की पूरी जांच करानी चाहिए।

मुस्कुराते रहें

मुस्कराहट और अच्छे खूबसूरत दांतों के बीच दोतरफा संबंध है। सुंदर दांतों से जहां मुस्कराहट अच्छी होती है , वहीं मुस्कराहट से दांत अच्छे बनते हैं। तनाव दांत पीसने की वजह बनता है , जिससे दांत बिगड़ जाते हैं। तनाव से एसिड भी बनता है , जो दांतों को नुकसान पहुंचाता है।

बच्चों के दांतों की देखभाल

छोटे बच्चों के मुंह में दूध की बोतल लगाकर सुलाएं।

चॉकलेट और च्यूइंगम खिलाएं। खाएं भी तो तुरंत कुल्ला करें।

बच्चे को अंगूठा चूसने दें। इससे दांत टेढ़े - मेढ़े हो जाते हैं।

डेढ़ साल की उम्र से ही अच्छी तरह ब्रशिंग की आदत डालें।

छह साल से कम उम्र के बच्चों को फ्लोराइड वाला टूथपेस्ट दें।
 


 ब्रश करने का सही तरीका                                 

यों तो हर बार खाने के बाद ब्रश करना चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। ऐसे में दिन में कम - से - कम दो बार ब्रश जरूर करें और हर बार खाने के बाद कुल्ला करें। दांतों को तीन - चार मिनट ब्रश करना चाहिए। कई लोग दांतों को बर्तन की तरह मांजते हैं , जोकि गलत है। इससे दांत घिस जाते हैं। आमतौर पर लोग जिस तरह दांत साफ करते हैं , उससे 60-70 फीसदी ही सफाई हो पाती है। दांतों को हमेशा सॉफ्ट ब्रश से हल्के दबाव से धीरे - धीरे साफ करें। मुंह में एक तरफ से ब्रशिंग शुरू कर दूसरी तरफ जाएं। बारी - बारी से हर दांत को साफ करें। ऊपर के दांतों को नीचे की ओर और नीचे के दांतों को ऊपर की ओर ब्रश करें। दांतों के बीच में फंसे कणों को फ्लॉस ( प्लास्टिक का धागा ) से निकालें। इसमें 7-8 मिनट लगते हैं और यह अपने देश में ज्यादा कॉमन नहीं है। दांतों और मसूड़ों के जोड़ों की सफाई भी ढंग से करें। उंगली या ब्रश से धीरे - धीरे मसूड़ों की मालिश करने से वे मजबूत होते हैं।