Wednesday, August 28, 2013

" श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव "

 
 
कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जनमोत्सव है।
योगेश्वर कृष्ण के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी को भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।
श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया। चूंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इसीलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है। 
आईये जानते है कैसे मनाये जन्माष्टमी। ……
व्रत विधि......
व्रत के दिन प्रात: व्रती को सूर्य, सोम (चन्द्र), यम, काल, दोनों सन्ध्याओं (प्रात: एवं सायं),
पाँच भूतों, दिन, क्षपा (रात्रि), पवन, दिक्पालों, भूमि, आकाश, खचरों (वायु दिशाओं के निवासियों)
एवं देवों का आह्वान करना चाहिए, जिससे वे उपस्थित हों।
उसे अपने हाथ में जलपूर्ण ताम्र पात्र रखना चाहिए,
जिसमें कुछ फल, पुष्प, अक्षत हों और मास आदि का नाम लेना चाहिए और संकल्प करना चाहिए–
'मैं कृष्णजन्माष्टमी व्रत कुछ विशिष्ट फल आदि तथा अपने पापों से छुटकारा पाने के लिए करूँगा।'
तब वह वासुदेव को सम्बोधित कर चार मंत्रों का पाठ करता है, जिसके उपरान्त वह पात्र में जल डालता है।
उसे देवकी के पुत्रजनन के लिए प्रसूति-गृह का निर्माण करना चाहिए, जिसमें जल से पूर्ण शुभ पात्र, आम्रदल,
पुष्पमालाएँ आदि रखना चाहिए, अगरु जलाना चाहिए और शुभ वस्तुओं से अलंकरण करना चाहिए तथा षष्ठी देवी को रखना चाहिए। गृह या उसकी दीवारों के चतुर्दिक देवों एवं गन्धर्वों के चित्र बनवाने चाहिए (जिनके हाथ जुड़े हुए हों), वासुदेव (हाथ में तलवार से युक्त), देवकी, नन्द, यशोदा, गोपियों, कंस-रक्षकों, यमुना नदी, कालिया नाग तथा गोकुल की घटनाओं से सम्बन्धित चित्र आदि बनवाने चाहिए। प्रसूति गृह में परदों से युक्त बिस्तर तैयार करना चाहिए।
  
 पारण........
प्रत्येक व्रत के अन्त में पारण होता है, जो व्रत के दूसरे दिन प्रात: किया जाता है।
जन्माष्टमी एवं जयन्ती के उपलक्ष्य में किये गये उपवास के उपरान्त पारण के विषय में कुछ विशिष्ट नियम हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण, कालनिर्णय में आया है कि–'जब तक अष्टमी चलती रहे या उस पर रोहिणी नक्षत्र रहे तब तक पारण नहीं करना चाहिए; जो ऐसा नहीं करता, अर्थात जो ऐसी स्थिति में पारण कर लेता है
वह अपने किये कराये पर ही पानी फेर लेता है और उपवास से प्राप्त फल को नष्ट कर लेता है।
अत: तिथि तथा नक्षत्र के अन्त में ही पारण करना चाहिए।

सच्ची जन्माष्टमी मानाने की सहज विधि …उपवास माना  ऊपर में वास करना इस का मतलब है की आप अपने मन से दिल से ईश्वर की याद में रहो सच्चे रहो पार ब्रह्म में रहने वाले उस ईश्वर पिता को याद करते रहो तो आपको शक्ति मिलती रहगी और आपका मन शुद्ध और पवित्र हो जायेगा जिस से आप श्री कृष्णा की नगरी में जाने लयक बन जायेंगे और यहाँ रहते भी आपको अति इन्द्रिय सुख का अनुभव होगा। …लेकिन याद विधि पूर्वक हो देह सहित देह के सब धर्म को मन से भूल उस परमात्मा को याद करे। … 

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव...............
 देश भर के श्रद्धालु जन्माष्टमी पर्व को बड़े भव्य तरीक़े से एक महान पर्व के रूप में मनाते हैं।
 सभी कृष्ण मन्दिरों में अति शोभावान महोत्सव मनाए जाते हैं।
 विशेष रूप से यह महोत्सव वृन्दावन, मथुरा (उत्तर प्रदेश), द्वारका (गुजरात), गुरुवयूर (केरल), उडृपी     (कर्नाटक) तथा इस्कॉन के मन्दिरों में होते हैं।
 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव सम्पूर्ण ब्रजमण्डल में, घर–घर में, मन्दिर–मन्दिर में मनाया जाता है।
 अधिकतर लोग व्रत रखते हैं और रात को बारह बजे ही 'पंचामृत या फलाहार' ग्रहण करते हैं।
 मथुरा के जन्मस्थान में विशेष आयोजन होता है। सवारी निकाली जाती है। दूसरे दिन नन्दोत्सव मन्दिरों में दधिकाँदों होता है।  फल, मिष्ठान, वस्त्र, बर्तन, खिलौने और रुपये लुटाए जाते हैं। जिन्हें प्रायः सभी श्रद्धालु लूटकर धन्य होते हैं।  गोकुल, नन्दगाँव, वृन्दावन आदि में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बड़ी धूम–धाम होती है।

Tuesday, August 27, 2013

Jeevan tumne Diya hai.....(Hindi Lyrics)

 

 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम - (2)
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता, निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम

 साए मे हम आप ही के पाले, सत्कर्म की रह पर हम चले
 सारे जहाँ की भलाई करे, हम ना किसीकि बुराई करे
 इस  दुनिया के दुखों से बचा लोगे तुम - (2)
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता, निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम

 हर पल अगर तुम्हारा साथ है, फिर हुमको डरने की क्या बात है
काठनाईयो  से ना हारेंगे हम, तुमको हमेशा पुकारेंगे हम
 अपने गले से हमे भी लगलोगे तुम - (2)
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता, निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम

छाया  कही तो कही धूप है, है नाम कितने काई रूप है
 हर शय  मे तुम हो समाए हुए, हम सब हैं तुम्हारे बनाए हुए
 हम जो रूठे कभी तो मनलॉगे तुम - (2)
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता, निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम

Sunday, August 25, 2013

Tera Karm hi teri Vijay hai (Hindi Lyrics)




तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है
तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है
हर वक़्त है इम्तिहान का
दस्तूर है ये जहाँ का
हर वक़्त है इम्तिहान का
दस्तूर है ये जहाँ का
तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है

अँधा है हर सफ़र
हर सांस मे अजनबी
अपनी ही खोज मे
खोया है हर आदमी
अँधा है हर सफ़र
हर सांस मे अजनबी
अपनी ही खोज मे
खोया है हर आदमी
जूठे  है सारे सहारे
रिस्ते हमारे  तुम्हारे
ए  वक़्त के खेल सारे
तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है
हर वक़्त है इम्तिहान का
दस्तूर है ये जहाँ का
हर वक़्त है इम्तिहान का
दस्तूर है ये जहाँ का
तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है

पत्थर की है ज़मीन
है दूर घर आसमान
फिर भी ये जिंदगी जीना है सबको यहा

पत्थर की है ज़मीन
है दूर घर आसमान
फिर भी ये जिंदगी जीना है सबको यहा

किस हाथ मे क्या लिखा है
पहले से किस ने पढ़ा है
जाने मुक़धार मे क्या लिखा है

तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है, विजय तेरी विजय है
हर वक़्त है इम्तिहान का
दस्तूर है ये जहाँ का
हर वक़्त है इम्तिहान का
दस्तूर है ये जहाँ का
तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है.


Meri Dadi " Dadi Prakash Mani "

"ना ये चाँद होगा"
 


ना ये चाँद होगा ना तारे रहेगे
मगर हम हमेशा तुम्हारे रहेगे
ना ये चाँद होगा

नज़र ढूँढती थी जिसे पा लिया है
उमीदों के फुलो से दामन भरा है
ये दिन हमको सब दिन से प्यारे रहेगे
ना ये चाँद होगा

कहूँ क्या मेरे दिल का अरमान क्या है
तुम्हे हर घड़ी चूमना चाहता है
कहाँ तक भला जी को मारे रहेगे
ना ये चाँद होगा

सहारा मिले जो तुम्हारी हँसी का
भुला देगे हम सारा गम ज़िंदगी का
तुम्हारे लिए है तुम्हारे रहेगे
ना ये चाँद होगा

 बिच्छाड़कर चले जाए तुमसे कही
तो ये ना समझना मुहब्बत नही
जहाँ भी रहे हम तुम्हारे रहेगे
ना ये चाँद होगा

ज़माना अगर कुछ कहेगा तो क्या
मगर तुम ना कहना हमे बेवफा
तुम्हारे लिए है तुम्हारे रहेगे
ना ये चाँद होगा


Thursday, August 22, 2013

Mujhe Pyar ki Zindagi Dene Wale.. (Hindi Lyrics)



मुझे प्यार की ज़िंदगी देने वाले
कभी गम  ना देना ख़ुशी देने वाले
मुझे प्यार की ज़िंदगी देने वाले

मोहब्बत के वादे भुला तो ना देंगे
कहीं मुझ से दामन चुरा तो ना लो गे.…..  २ 
मारे दिल की दुनिया है  तेरे  हवाले
मुझे प्यार की ज़िंदगी देने वाले

ज़माने में तुम से नही कोई प्यारा …… २ 
यह जान भी तुम्हारी यह दिल भी तुम्हारा
जो ना हो यक़ीन तो कभी आजमाले
मुझे प्यार की ज़िंदगी देने वाले

भरोसा हे हम को मुहाबत पे तेरी ….. .. २
तो फिर हंस के देखो निगाहों में मेरी
यह डर है ज़माना जुदा  कर ना डाले

मुझे प्यार की ज़िंदगी देने वाले
कभी गम  ना देना ख़ुशी देने वाले
मुझे प्यार की ज़िंदगी देने वाले।

Mere Desh Premiyo... (Hindi Lyrics)

 

नफ़रत की लाठी तोडो, लालच का खंजर फेंको
ज़िद्द के पीछे मत दौड़ो, तुम प्रेम के पंछी हो
देश प्रेमियों, आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों ...
देखो, ये धरती, हम सब की माता है
सोचो, आपस में, क्या अपना नाता है
हम आपस में लड़ बैठे,
हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन संभालेगा
कोई बाहर वाला अपने घर से हमें निकालेगा
दीवानों होश करो, मेरे देश प्रेमियों ...

मीठे, पानी में, ये ज़हर ना तुम घोलो
जब भी, कुछ बोलो, ये सोच के तुम बोलो
भर जाता है गहरा घाव जो बनता है गोली से
पर वो घाव नही भरता जो बना हो कड़वी बोली से
तो मीठे बोल कहो, मेरे देश प्रेमियों ...

तोडो, दीवारें, ये चार दिशाओं की
रोको, मत राहें इन, मस्त हवाओं की
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण वालों मेरा मतलब है
इस माटी से पूछो क्या भाषा क्या इसका मज़हब है
फिर मुझसे बात करो, मेरे देश प्रेमियों ...आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों ...
देश प्रेमियों, आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों ...

Wednesday, August 21, 2013

मेरा मुल्क मेरा देश मेरा यह वतन (Hindi Lyrics)

 

  मेरा मुल्क मेरा देश मेरा यह वतन
    शांति का उन्नति का प्यार का चमन
    मेरा मुल्क मेरा देश मेरा यह वतन
    शांति का उन्नति का प्यार का चमन
    इस के वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन
    ए   वतन  ए  वतन ए  वतन
    जानेमन जानेमन जानेमन
    ए   वतन  ए  वतन ए  वतन
    जानेमन जानेमन जानेमन
    मेरा मुल्क मेरा देश मेरा यह वतन 
    शांति का उन्नति का प्यार का चमन

    इस की मिट्टी से बने तेरे मेरे यह बदन 
    इस की धरती तेरे मेरे वास्ते गगन
    इस ने ही सिखाया हम को जीने का चलन
    जीने का चलन
    इस के वास्ते निसार है मेरा तन  मेरा मन 
    ए   वतन  ए  वतन ए  वतन
    जानेमन जानेमन जानेमन
    मेरा मुल्क मेरा देश मेरा यह वतन 
    शांति का उन्नति का प्यार का चमन

    अपने इस चमन को स्वर्ग हम बनाएँगे
    कोना कोना अपने देश का सजाएँगे
    जश्न होगा ज़िंदगी का होंगे सब मगन
    होंगे सब मगन
    इस के वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन 
    ए   वतन  ए  वतन ए  वतन
    जानेमन जानेमन जानेमन
    मेरा मुल्क मेरा देश मेरा यह वतन 
    शांति का उन्नति का प्यार का चमन
    मेरा मुल्क मेरा देश मेरा यह वतन 
    शांति का उन्नति का प्यार का चमन
    इस के वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन 
    ए   वतन  ए  वतन ए  वतन
    जानेमन जानेमन जानेमन
    ए   वतन  ए  वतन ए  वतन
    जानेमन जानेमन जानेमन.

फ्लिम - दिलजले -1996

Tuesday, August 20, 2013

" Motivational Thought " (My Collection)




 – हमेशा ‘हां’ कह कर अपनी खुशियों का गला न घोंटें ….

कई लोग ‘ना’ कह नहीं पाते. यह बहुत बड़ी समस्या है. इसे कमजोरी कहना ज्यादा उचित होगा. हम लोगों के काम करते जाते हैं, उनकी बातें मानते जाते हैं, अपनी खुशियों का गला घोंटते जाते हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि हमें ‘ना’ कहना नहीं आता. यह शब्द हम इसलिए नहीं बोल पाते, क्योंकि हम बदले में लोगों का प्यार चाहते हैं, उनकी तारीफ चाहते हैं.

हम चाहते हैं कि लोग हमें अपनाएं. इन चीजों के लालच में हम खुद के साथ अन्याय करते रहते हैं और सहनशक्ति की सीमा तक वो सारे काम करते हैं, जो हमें तकलीफ पहुंचाते हैं, हमें नाखुश करते हैं.

हम यह काम सालों-साल करते हैं. जब लोग हर चीज में हमारी ‘हां’ सुनते हैं, तो बदले में हमें विनम्र, अच्छा, मददगार इनसान आदि नामों का ताज पहनाते हैं. लेकिन यदि हमारी सहनशक्ति 10 साल बाद टूट जाती है और हम 11वें साल में किसी काम को लेकर ‘ना’ कह देते हैं, तो वही लोग हमें अभिमानी, अहंकारी, बदतमीज कह देते हैं. वे हमारी 10 साल की मेहनत, त्याग, सेवा को तुरंत भूल जाते हैं. तब हमें लगता है कि काश उसी वक्त ‘ना’ बोल दिया होता.
मेरा कहना यह नहीं है कि आप हर चीज में ‘ना’ बोलना शुरू कर दें. कहना सिर्फ इतना है कि खुद से सवाल करें कि आपके लिए लोगों का प्यार, तारीफ ज्यादा मायने रखता है या आपकी खुद की खुशी, दिमाग की शांति? यदि आप किसी काम को करने से नाखुश हैं, तनाव में हैं, तो बेहतर है कि आप ‘ना’ कह दें.

यह न सोचें कि सामनेवाला नाराज हो जायेगा, प्यार नहीं करेगा, फिर वह मुझसे ठीक से बात नहीं करेगा. याद रखें, लोगों को आप हमेशा खुश नहीं रख सकते हैं. आप हमेशा उनके मुताबिक नहीं चल सकते. यदि आप ऐसा करने की कोशिश करेंगे, तो कहीं न कहीं खुद के साथ अन्याय करेंगे.
दोस्तो, हम उन लोगों के नाराज होने से क्यों डरें, जिनकी राय पल भर में हमारे प्रति बदल जाती है. जो कल हमें विनम्र, प्यारा, अच्छा इनसान कह रहे थे, वह हमें अचानक अभिमानी, गुस्सैल, अहंकारी कहने लगे. आप केवल उन्हें ही अपना मानें, जो आपके ‘ना’ कहने के बावजूद भी आपसे प्यार करें. आपकी ‘ना’ कहने की वजह को समङों.

- बात पते की
* यदि कोई इनसान पहले आपकी हर बात पर ‘हां’ कहता था, लेकिन आज अचानक उसने ‘ना’ कह दिया, तो उस इनसान की परिस्थिति को समझें.

* दूसरों से प्यार, सम्मान पाने के लिए अपनी खुशियों का गला न घोंटें, क्योंकि ये छोटे-छोटे त्याग किसी दिन ज्वालामुखी बन कर फूट पड़ेंगे.

Monday, August 19, 2013

" सरलता "



सरलता एक ऐसा गुण है जो भी इसे अपनाते वो बहुत सुख का अनुभव करते है
सरल व्यक्ति हर कार्य को निमित बन कर करता है वो जो भी करता है उस के प्रति 
साक्षी रहता है कर्म और फल के बीच में वो जोड़ नहीं बनाता।
 वो तो कर्म बड़े आनंद के साथ करता लेकिन कर्म फल से उपराम रहता है
 और येही सरल व्यक्ति की खूबी है और जिनके पास सरलता का गुण है 
वो सब जगह टिक जाते और सब के साथ गुल मिल जाते है।

" रक्षाबंधन "

 


रक्षाबंधन का पर्व प्रत्येक भारतीय घर में उल्लासपूर्ण वातावरण से प्रारम्भ होता है। राखी, पर्व के दिन या एक दिन पूर्व ख़रीदी जाती है। पारम्परिक भोजन व व्यंजन प्रातः ही बनाए जाते हैं। प्रातः शीघ्र उठकर बहनें स्नान के पश्चात भाइयों को तिलक लगाती हैं तथा उसकी दाहिने कलाई पर राखी बाँधती हैं। इसके पश्चात भाइयों को कुछ मीठा खिलाया जाता है। भाई अपनी बहन को भेंट देता है। बहन अपने भाइयों को राखी बाँधते समय सौ - सौ मनौतियाँ मनाती हैं। ये है आज की बात। …

आईये जनते  कथा और धर्म ग्रंथ में क्या बताया गया है। 

 ब्राह्मण, पुरोहित और यजमान
रक्षा बंधन के दिन देश में कई स्थानों पर ब्राह्मण, पुरोहित भी अपने यजमान की समृद्धि हेतु उन्हें रक्षा बाँधते हैं, जिसकी उन्हें दक्षिणा भी मिलती है। रक्षा बाँधते समय ब्राह्मण यह मंत्र पढ़ता जाता है —

    येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबलः।
    तेन त्वां प्रतिबध्नामि, रक्षे! मा चल! मां चल!!

अर्थ- जिस प्रकार के उद्देश्य पूर्ति हेतु दानव - सम्राट महाबली, रक्षा - सूत्र से बाँधा गया था (रक्षा सूत्र के प्रभाव से वह वामन भगवान को अपना सर्वस्व दान करते समय विचलित नहीं हुआ), उसी प्रकार हे रक्षा सूत्र! आज मैं तुम्हें बाँधता हूँ। तू भी अपने उद्देश्य से विचलित न हो, दृढ़ बना रहे।


 पौराणिक कथा
……

भविष्य पुराण में कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक बार बारह वर्षों तक देवासुर - संग्राम होता रहा, जिसमें देवताओं की हार हो रही थी। दुःखी और पराजित इन्द्र, गुरु बृहस्पति के पास गए। वहाँ इन्द्र पत्नी शचि भी थीं। इन्द्र की व्यथा जानकर इन्द्राणी ने कहा - 'कल ब्राह्मण शुक्ल पूर्णिमा है। मैं विधानपूर्वक रक्षासूत्र तैयार करूँगी। उसे आप स्वस्तिवाचन पूर्वक ब्राह्मणों से बंधवा लीजिएगा। आप अवश्य ही विजयी होंगे।'
दूसरे दिन इन्द्र ने इन्द्राणी द्वारा बनाए रक्षाविधान का स्वस्तिवाचन पूर्वक बृहस्पति से रक्षाबंधन कराया, जिसके प्रभाव से इन्द्र सहित देवताओं की विजय हुई। तभी से यह 'रक्षाबंधन' पर्व ब्राह्मणों के माध्यम से मनाया जाने लगा। इस दिन बहनें भी भाइयों की कलाई में रक्षासूत्र बाँधती हैं और उनके सुखद जीवन की कामना करती हैं।
 
 राजा बलि की कथा…….

एक अन्य कथानुसार राजा बलि को दिये गये वचनानुसार भगवान विष्णु बैकुण्ठ छोड़कर बलि के राज्य की रक्षा के लिये चले गय। तब देवी लक्ष्मी ने ब्राह्मणी का रूप धर श्रावण पूर्णिमा के दिन राजा बलि की कलाई पर पवित्र धागा बाँधा और उसके लिए मंगलकामना की। इससे प्रभावित हो बलि ने देवी को अपनी बहन मानते हुए उसकी रक्षा की कसम खायी। तत्पश्चात देवी लक्ष्मी अपने असली रूप में प्रकट हो गयीं और उनके कहने से बलि ने भगवान विष्णु से बैकुण्ठ वापस लौटने की विनती की।
 




आधुनिक तकनीक और राखी……………

आज के आधुनिक तकनीकी युग एवं सूचना संप्रेषण युग का प्रभाव राखी जैसे त्योहार पर भी पड़ा है। कई सारे भारतीय आजकल विदेश में रहते हैं एव उनके परिवार वाले (भाई एवं बहन) अभी भी भारत या अन्य देशों में हैं। इंटरनेट के आने के बाद कई सारी ई-कॉमर्स साइट खुल गई हैं जो ऑनलाइन आर्डर मंजूर करती हैं एवं राखी दिये गये पते पर पहुँचा दी जाती है। इसके अतिरिक्‍त भारत में राखी के अवसर पर इस पर्व से संबंधित एनीमेटेड सीडी भी आई है, जिसमें एक बहन द्वारा भाई को टीका करने व राखी बाँधने का चलचित्र है। यह सीडी राखी के अवसर पर अनेक बहनों ने दूर रहने वाले अपने भाइयों को भेजी।

  



Sunday, August 18, 2013

" जैविक खेती की नयी विधि। "

" जैविक खेती की नयी विधि। "
मानव कल्याणकरी फफूंद

१. मेटारैजियम फफूंद - जमीनि फफूंद है ये जमीन  के अन्दर में होने वाले किट 
जैसे उदय  सफ़ेद आदि को मिटाता है.
इस के लिए आपको १किलो पाउडर मेटारैजियम फफूंद +५०किलो गोबर के खाद में मिला दे  
और छायादार पेड़ के निचे रखे और १ एकार खेत में डाल दे या बिकराव करे.

२. बवेरिया फफूंद - ये फफूंद जमीन के ऊपर होने वाले किट को मिटाता है इस के लिए शाम को इस का छिडकाव करना है बवेरिया का एक किलो पाउडर और ५०० लीटर पानी में मिला दे ये पुरे एक  हेक्टर एरिया में कर सकते है यदि किट का प्रभाव जादा है तो १५ दिन में दोबारा छिडकाव कर सकते है 

३. वर्टिसिलियमलाकेनी - (varticiliumlekani)  ये एक प्रभावी फफूंद है मोईला और छोटे किट आदि को मिटाता है ये मोईला के ऊपर से फ्रीज़ कर देगा  इस के लिए आपको १ किलो वर्टिसिलियमलाकेनी +  ५०० लीटर पानी में मिलाकर एक एकर (एकार्ड ) जमीन में छिडकाव करे.

४. ट्रायकोडर्मा फफूंद - इस की दो प्रजातीय है अब दोनों प्रजातीय मिलकर आती है और इस का प्रयोग में जड़ गलन रोंगों में बहुत अच्छा है इस के लिए आपको  १०० किलो गोबर +२. ५ किलो (डैकिलो ) मिलकर हल्का पानी का प्रयोग करे ताकि ट्रायकोडर्मा फफूंद  अच्छी तरह  जाय और उसे जमीन में डाल दे और ट्रायकोडर्मा से बीज का उपचार भी किया जाता है ८ से १० ग्राम ट्रायकोडर्मा बीज में मिलकर बुवाई करे। 

 ५. बेसिलोम्य्सिस लिलेसिनेस फफूंद - ये पाउडर को ले आये और १ किलो को १ एकार्ड में  बुवाई से पहले जमीन में मिला दे  ये जड़ घाट रोग में काम आता है 

 ६.एनटमोक्स्थोरा फफूंद -  जैसे की चिद्दा है पढ्का है जो मार्कर के शारीर को कई हिस्सों में बाट देती है ऐसे 
 समय पर आप एनटमोक्स्थोरा फफूंद का छिडकाव  करेंगे तो पढ्का या चिद्दा इस से मुक्ति होगी।

Saturday, August 17, 2013

Think that we are in Good Hand


 सफल स्वस्थ और सुमधुर जीवन का पहला और आखिरी मंत्र है: सकारात्मक सोच। यह अकेला ऐसा मंत्र है, जिससे न केवल व्यक्ति और समाज की, वरन् समग्र विश्व की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। यह सर्व कल्याणकारी मंत्र है। मेरी शान्ति, सन्तुष्टि, तृप्ति और प्रगति का अगर कोई प्रथम पहलू है, तो वह सकारात्मक सोच ही है। सकारात्मक सोच ही मनुष्य का पहला धर्म  है  और यही उसकी आराधना का बीज मंत्र है। 
आपको एक सकारात्मक सोच बता रहे है
सदा ये सोचो की में ईश्वर के हाथो में बहुत सेफ और सुरक्षित हु 
मेरी पालना स्वम ईश्वर कर रहा है 
इस लिए मुझे चिंता करने की दरकार नहीं।
बस ईश्वर के बताये मार्ग पर निश्चिन्त होकर चलते रहो 
जो होगा अच्छा ही होगा।


Wednesday, August 14, 2013

HAPPY INDEPENDENCE DAY








" 90 वर्षों के लम्बे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को 'भारत को स्वतंत्रता' का वरदान मिला। भारत की आज़ादी का संग्राम बल से नहीं वरन सत्‍य और अहिंसा के सिद्धांत के आधार पर विजित किया गया। इतिहास में स्‍वतंत्रता के संघर्ष का एक अनोखा और अनूठा अभियान था जिसे विश्व भर में प्रशंसा मिली।"
                                                             


. एक बार फिर हम सब को सत्य और अहिंसा के रस्ते पर चलकर भारत का सम्पूर्ण विकास की नए रामराज्य की तयारी करनी होगी तो आयो साथ मिलकर हम आज ये प्रतिज्ञा करे की भारत को भ्रस्टाचार मुक्त बनाये 

" जय हिन्द जय भारत "