Monday, July 15, 2013

जमशेद जी जीजाभाई - जीवन परिचय

                  जमशेद जी जीजाभाई - जीवन परिचय
जमशेद जी जीजाभाई का जन्म 15 जुलाई, 1883 ई. को एक गरीब परिवार में
मुंबई में हुआ था। आर्थिक तंगी के कारण वे शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके। 12 वर्ष
 की छोटी उम्र में अपने मामा के साथ पुरानी बोतलें बेचने के धंधे में लग गए थे।
 कुछ दिन बाद ममेरी बहन से उनका विवाह भी हो गया। 1899 में माता-पिता का
 देहांत हो जाने से परिवार का पूरा भार जमशेद जी के ऊपर आ गया।
उनमें बड़ी व्यवसाय-बुद्धि थी। व्यवहार से उन्होंने साधारण हिसाब रखना और
 कामचलाऊ अंग्रेजी सीख ली थी। उन्होंने अपने व्यापार का भारत के बाहर विस्तार
 किया। भाड़े के जहाजों में चीन के साथ वस्तुओं का क्रय-विक्रय करने लगे।
 20 वर्ष के थे तभी उन्होंने पहली चीन यात्रा की। कुल मिलाकर वे पांच बार चीन गए।
 कभी ये यात्राएं खतरनाक भी सिद्ध हुईं। एक बार पुर्तग़ालियों ने इनका जहाज पकड़कर
 लूट लिया और इन्हें केप ऑफ गुडहोप के पास छोड़ दिया था। किसी तरह मुंबई आकर
 इन्होंने फिर अपने को संभाला और 1914 में अपना जहाज ख़रीदने के बाद जमशेद जी बेड़ा
 बढ़ाने और निरंतर उन्नति की दिशा में बढ़ते गए।

महारानी विक्टोरिया द्वारा सम्मानित होने वाले प्रथम भारतीय थे।
 सांप्रदायिक भेदभाव से दूर रहने वाले जीजाभाई ने महिलाओं की स्थिति सुधारने
 तथा पारसी समाज की बुराइयां दूर करने के लिए भी अनेक क़दम उठाए।

योगदान---
दुर्भिक्ष सहायता, कुओं और बांधों का निर्माण, सड़कों और पुलों का निर्माण,
 औषधालय स्थापना, शिक्षा-संस्थाएं, पशु-शालाएं, अनाथालय आदि सभी के लिए
उन्होंने धन दिया। उनकी आर्थिक सहायता से स्थापित संस्थाओं में प्रमुख हैं-
 जे. जे. अस्पताल, जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट, पूना बांध और जल संस्थान।
 ‘मुंबई समाचार’ और ‘मुंबई टाइम्स’ (अब का टाइम्स ऑफ इंडिया)
जैसे पत्रों को भी सहायता मिली। अनुमानतः उस समय उन्होंने 30 लाख रुपये से अधिक का दान दिया था।

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