Wednesday, May 29, 2013

देश की हालत


देश की हालत का अनुमान

 इस बात से लगा सकते है 

कि यहाँ दूधवाला घर-घर जाता है 

और शराब लोग पंक्ति लगा कर 

शराब की दुकान पर जा कर लाते है

 


Tuesday, May 28, 2013

राजयोग करने के लिये.........



राजयोग  करने के लिये ,
हमे अपने शरीर की सारी हरकतों को बन्द करना पडता है ,
जैसे शरीर का हिलना , देखना , बोलना  और सोचना . . .
राजयोग कैसे करते है आइये देखते है . . .
राजयोग
राजयोग के लिये
पहला काम है . . . स्थिति |
आप किसी भी तरह बैट सकते है |
बैठना आरामदेह और निश्चल होना चाहिए |
हम ज़मीन और कुर्सि पर बैटकर ध्यान कर सकते हैं |
  राजयोग हम किसी भी जगह कर सकते जहा हम सुखदायी हों |
आराम से बैठिए |
पैरों को मोड़कर उंगमियों को मिलकर |
आंखे बन्द कीजिए |
अन्दर और बाहर की आवाजों पर रोक लगाइये |
  तो शक्ति का दायार बढ़ जाता है 
 स्थिरता बढ़ जाती है | आंखें दिमाग के द्वार हैं . . .
इसीलियें आंखें खुली हो पर दिमाग याने बुद्धि योग
 अलोक की तरफ हो 
परमात्मा की तरफ हो तो योग लगेगा  और
 आंखे खुली होकर भी 
मन प्रभु प्रेम में खोया रहेगा।
कुछ अच्छे विचार लेकर चिंतन करे 
और एक मै आत्मा और मेरा परमात्मा 
कभी कभी सुरवात में ऐसा हो सकता है
कुछ अलग विचार भी आ सकते है  पर
विचारों का पीछा मत कीजिए . . .
विचारों , सवालों से चिपक मत जाइये . . .
विचारो को हटा दीजिये . . . और अपने शारीर में आत्मा की और ध्यान दे
और  सांस पर ध्यान दीजिए . . .
सांस में खो जाइये |
इसके बाद . . .
सांसों की गहराई  कम होती जाएगी . . .
धीरे धीरे सांस हल्कि और छोटी होती जाएगी . . .
आखिर में . . .
सांस बहुत छोटी हो जाएगी . . .
और दोनो भावों के बीच में चमक का रूप ले लेगी |
आत्मा अनुभूति  की इस दशा में . . .
हर किसी में . . .
न सांस .. रहेगी न विचार . . .
  आप विचारों से परे हो जाएगा . . .
ये दशा कहलाती है . . .
निर्मल स्थिती या बिना विचारो  की दशा . . .
ये बिंदु रूप की दशा है . . .
ये वो अवस्था है . . . जब हमपर परमात्मा (विश्व ) शक्ति की बोछार होने लगती है |
हम जितना ज़्यादा राजयोग करेंगे उतना ही ज़्यादा परमात्मा (विश् ) शक्ति हमे प्राप्त होगी |

Monday, May 27, 2013

”इक्कीसवी सदी का इंसान ”

”इक्कीसवी सदी का इंसान ”
इक्कीसवी सदी का इंसान,
समझ बैठा अपने को भगवान,
कर रहा अपने हाथों के उध्वंस से ,
इस देश का नव निर्माण |
गाँधीजी के युग में,  जहाँ उठाया था हमने बीड़ा,
न किसी के चेहरे पर हो शिकन,  न किसी तरह की पीड़ा,
बलिदान दिया उन्होंने,  अपने इसी देश के लिए,
क्या याद रख पाए हम,  उनकी किसी तरह की क्रीडा |
मुंबई का आतंकवादी हल्ला,  जिसने हिला दिया एक आम इंसान को,
खून, खराबा, विक्षिप्त लाशें गिराकर,  क्या मिला किसी को,
क्या होगा उन नन्हें बच्चों का,  जिनके माँ बाप ही न रहे ,
जिनकी नन्हीं आँखें निहार रही हैं , अभी भी किसी पथ को |
भाई भाई के खून का प्यासा हो, क्या यही था उनका सपना,
सूरज अभी ढला नहीं, कर सकते हैं हम, सभी को अपना,
आज कोई रो रहा है, कल हम भी रो सकते हैं,
यह सोच कर तो बंद करो , जाति के नाम को कुरेदना |
आओ, आज हम सब मिलकर, कहें यह कसम खाकर,
गाँधीजी के सपने को,  एक नए रूप में सँजोकर,
इक्कीसवी सदी के इस युग में,
हम लाएँगे, रामराज्य का इंसान |

Wednesday, May 22, 2013

"Gratitude" = " कृतग्यता "



कृतग्यता 


मैं कृतग्य हूँ
उस जीवन के प्रति
जो मुझमें
और तमाम अन्य जीवों में
लगातार साँसें ले रहा है

मैं कृतग्य हूँ
उस सूरज के प्रति
जिसने ऊर्जा भेजने में
कभी कोई चूक नही की
और जिसके बिना अकल्पनीय थी हमारी सृजना

मैं कृतग्य हूँ
उस प्रकृति के प्रति
जिसने हवा, पानी, पेड़, बादल, बिजली, बारिश, फूल और खूशबू जैसी चीजें बनाई
और उन पे किसी का जोर नही रखा.

मैं कृतग्य हूँ
प्रत्येक सृजन और उसके लिए मौजूद मिट्टी के प्रति

मैं आँसू, हंसी, शब्द, शोर और मौन जैसी
चीज़ो के प्रति भी कृतग्य हूँ
जो मेरी कविता का हिस्सा बनते हैं

और अन्त में
उन सब चीज़ो के प्रति
जो अस्तित्व में हैं और जिनकी वजह से दुनिया सुंदर बनी हुई है
मैं कृतग्य हूँ
अपने  शिव बाबा के प्रति
जिनके आर्शीवाद के बिना
यह कृतग्यता का भाव न होता... 

कृतग्यता  एक  विधि  है  जिस के द्वारा  आप  अपने जीवन  को सुखदायी  बना सकते हो  उठते  बैटते  चलते फिरते  बस  धन्यवाद  दे  सब को  जो आपके पास है और जो आप  से दूर है  ये समझे  पूरा संसार  ईश्वर  ने आपके लिए रचा  है . अपने ये  लिकत  इतने प्यार से पढ़ा  इस के लिए  आपको  भी  बहुत धन्यवाद ....
 धन्यवाद।।।।।धन्यवाद।।।।।
 


Saturday, May 18, 2013

मेरे प्रश्नों पे भी हल गए

मेरे प्रश्नों पे भी हल गए 

छलने वालों को जो छल गए 
सिक्के वो ही यहाँ चल गए 

हम कहानी ही लिखते रहे 
वह उपन्यास में ढल गए 

हल चले तो ये धरती कहे 
मेरे प्रश्नों पे भी हल गए 
वह उमर में पचहतर हुए 
रस्सी जल के नहीं बल गए 

शक में सन्देह में जो रहे 
उनके विश्वास भी गल गए 

कह गए अब नहीं आएंगे 
आज आए है जो कल गए 

जिनको शोले जला ना सके 
प्यार की आग में जल गए 

                  राव अजातशत्रु 

Friday, May 17, 2013

Thoughts Works but the need is to remember them.



Quote 21 : Everything has beauty, but not everyone sees it.
In Hindi : हर एक चीज में खूबसूरती होती है, लेकिन हर कोई उसे नहीं देख पाता.
Confucius कन्फ्यूशियस
Quote 22: I hear and I forget. I see and I remember. I do and I understand.
In Hindi : मैं सुनता हूँ और भूल जाता हूँ , मैं देखता हूँ और याद रखता हूँ, मैं करता हूँ और समझ जाता हूँ.
Confucius कन्फ्यूशियस
Quote 23 : Success depends upon previous preparation, and without such preparation there is sure to be failure.
In Hindi : सफलता पहले से की गयी तयारी पर निर्भर है,और बिना ऐसी तयारी के असफलता निश्चित है.
Confucius कन्फ्यूशियस
Quote 24:Our greatest glory is not in never falling, but in rising every time we fall.
In Hindi : महानता कभी ना गिरने में नहीं है, बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है.
Confucius कन्फ्यूशियस
Quote 25 : It does not matter how slowly you go as long as you do not stop.
In Hindi : यह बात मायने नहीं रखती की आप कितना धीमे चल रहे हैं, जब तक की आप रुकें नहीं.
 
confucius कन्फ्यूशियस

 रोज एक अच्छे विचार को पढो और उसे बार बार याद करो ये तरीका अच्छा है अपने दिमाग को ट्रैक पर रखने के लिए 

Read daily one good thought and also remember it for time to time it works for keeping you brain on track.
                                      Ramesh khade.      











 


Wednesday, May 15, 2013

"Autosuggestion"



"Autosuggestion" is the art of manifesting things in your life by putting focus on them and repeating mentally or verbally what you wish to manifest. It is a very helpful way to attract money, love, or friendship into your life as well as an effective method for ending bad habits such as smoking.

                                                  Èmile Coué, The apothacary worker who invented the method.       
  Èmile Coué, The apothacary worker who invented the method.

"ऑटो सजेसन " ये एक कला है जिस में आप ये संकल्प करते हो जो आपके जीवन की जरुरत है और उन्हें एक तरीके से सोचना  मन से एकाग्र होकर उन संकल्प या विचारो को करना है  और मुख से भी बोलना बार बार जिस से आपकी मनोकामनाए पूरी हो जाती है।

ये बहुत ही सहज तरीका है जिस से आप अपने कमी या बुराई को या ख़राब आदत को मिटा सकते हो और इस के अलावा आप आमिर बन सकते हो और दोस्त बना सकते हो और खुद को एक अच्छा इंसान भी बना सकते हो।






Submit yourself to supreme


Today the need is to submit all our unwanted desire to the supreme father and by this simple theme you will enjoy the most peaceful mind set and a new energy to do some thing will rise in your self.

आज की जरुरत ये है की इंसान अपने व्यर्थ इच्छा वो को ईश्वर के आगे रख दे और और उन्हें कभी वापस न आने दे तो वाही उसी शन वो एक अलोकिक सुख का अनुभव करेगा और एक नयी चेतना और शक्ति का स्वम् में अनुभव करेगा ......


Tuesday, May 7, 2013

"मेरा बाबा है "

दूर कही वतन मैं रहता है कोई
हर लम्हा ख़याल में रहता है कोई
ना कोई विचार मे है वो, पर किसी आलोक में है कोई
देखो तो वो हर सवाल का जवाब है कोई…
अरे ये तो कोई और नही ये तो मेरा बाबा है, मेरा बाबा है

Monday, May 6, 2013

New Meditation Technics-7

It is very easy when you start meditation by self respect with a new and positive thoughts like "I am very powerful " or "I am Peaceful soul" or "I am knowledgeful soul"............
this type of powerful thoughts give you more benefit in meditation and for whole day it will work for you but only the thing is you has to remember it thats all. conquer the maya with in seconds.



राजयोग का सब से सुंदर तरीका है स्वमान में रहना ये बहुत ही आसान है स्वम को "में शान्त स्वरूप आत्मा
 हु" "में प्रेम स्वरूप आत्मा हु " "में परम पवित्र आत्मा हु " इन सुद्ध संकल्प में सेट रखको।
ये तरीका बहुत अच्छा अनुभव कराता है और पुरे दिन आप अलोकिक आनंद का अनुभव करेंगे।


Thursday, May 2, 2013

बड़ा आदमी कौन ?

बड़ा आदमी कौन ?

बड़ा आदमी वह नहीं जिसके यहाँ चार नौकर काम करते है 
बल्कि वह है जो चार नौकरों का काम खुद अकेला कर लेता है।
खाली  रहना  ..याने जल्दी बुढा  होना है।
जब आदमी थक कर या बिना काम किये सो जाता है
 तो उस पर  बिमारिया आकर बैठ जाती है।
इस लिए सेवा निवृत होने के बाद भी खाली मत बैठना।
अपने तन और मन को किसी अच्छे नेक कार्य में लगाए रखिए।
थक कर बैठ जाने से तो इंसान की किस्मत ही बैठ जाती है।
अच्छे-खासे होकर भी विकलांग क्यू बनते हो भाई ?

 

इस लिए कहते है इंसान नाम से नहीं कर्म से महान बनता है।
कर्म ही इंसान के सच्चे मित्र है।
कर्मयोगी बनो और जीवन सुखदायी बनावो।

Wednesday, May 1, 2013

" परहित में ही अपना हित "

" परहित में ही अपना हित "

कहते है अपने लिए तो दुनिया जीती है, किन्तु सही मायने में जीना तो वह है जो दूसरो के लिए जिया जाए।
कुछ लोग ऐसे होते है जो सोचते है कि अपना भला तो सबका भला। जबकि सोचना इस ढंग से चाहिए कि सबके भले में ही अपना भला है। जो लोग इस तरह सोचते है वे सदा सुखी रहते है, सदा उन्नति के पथ पर आगे बढ़ाते है और सफलताए उनके कदम चूमती है।  हम सभी जानते है, सिकंदर की जीवन कहानी को ,आज एक बार  फिर समझ ले तो शायद कुछ मन को खुराक मिले और हम सही दिशा में चल पाए।

  
सिकंदर महान ने विश्व विजय को अपना लक्ष्य बनाया था। उसकी इच्छा थी कि वह सारी दुनिया पर राज कर .. ...संसार भर के खजानों पर उसका एकाधिकार हो, मगर भारत कि पवित्र भूमि पर आकार उसने इस सत्य को समझा कि परहित में ही अपना हित है, तभी तो मरते समय उसने सेवको से कहा था - "मेरे दोनों हाथ कफ़न से बहार निकाल देना ताकि लोग देख सके कि सिकंदर अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा रहा, वह खाली हाथ आया था और खाली हाथ ही जा रहा है।"